राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक और नए पाबंदी को घोषणा के साथ ही अमल में लाने के लिए ऐलान कर दिया गया है. डीजल जनरेटर को 1 अक्टूबर से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में एक अक्तूबर से डीजल से चलने वाले जेनरेटर के इस्तेमाल पर पाबंदी होगी। हालांकि, स्वच्छ ईंधन पर और डुअल मोड ( दो ईंधन) पर चलने वाले जेनरेटरों को छह अलग-अलग श्रेणियों में छूट रहेगी। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली और सभी एनसीआर राज्यों को आदेश जारी किए हैं।
यूं तो राजधानी और एनसीआर में आमतौर पर ही प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा रहता है, लेकिन जाड़े में सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। प्रदूषण की बड़ी वजहों में डीजल जेनरेटर से निकलने वाले उत्सर्जन को भी शामिल किया जाता है। इसी के चलते ग्रैप के लागू होने के समय से ही डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल को रोकने या इसका इस्तेमाल सीमित करने पर जोर दिया जाता रहा है।
केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने डीजल जेनरेटर सेट के इस्तेमाल पर अब एक अक्तूबर से पूरी तरह से पाबंदी लगाने का फैसला किया है। खास बात यह है कि स्वच्छ ईंधन और डुअल मोड पर चलने वाले जेनरेटर सेटों को अलग-अलग श्रेणियों में शर्तों के साथ छूट दी गई है। वहीं, नए मानकों वाले बड़ी क्षमता के जेनरेटर को भी छूट दी गई है।
इन छह श्रेणियों में छूट मिलेगी
- 1. एलजीपी, प्राकृतिक गैस, बायो गैस, प्रोपेन और बूटेन पर चलने वाले जनरेटर पर पाबंदी नहीं
- 2. किलोवाट से नीचे वाले पोर्टेबल जेनरेटर पर ग्रैप समय के अलावा कोई पाबंदी नहीं
- 3. 19 किलोवाट से 125 किलोवाट वाले डुअल फ्यूल मोड पर पाबंदी नहीं। ग्रैप में दो घंटे चलाने की इजाजत रहेगी
- 4. 125 किलोवाट से 800 किलोवाट वाले डुअल फ्यूल मोड या रेट्रोफिटेड जेनरेटर पर पाबंदी नहीं
- 5. 800 किलोवाट और उससे ऊपर वाले डुअल फ्यूल मोड या किसी अन्य उत्सर्जन नियंत्रण डिवाइस वाले जेनरेटर पर ग्रैप समय के अलावा कोई पाबंदी नहीं रहेगी। ग्रैप समय में दो घंटे चलाने की अनुमति रहेगी ।
- 6. नए मानकों के अनुसार, बनाए 800 किलोवाट तक के जेनरेटर पर कोई पाबंदी नहीं है।