Side Effects ofGel: डाइजीन जेल ऐसी दवा है जो गैस, एसिडिटी या हार्ट बर्न या पेट दर्द की स्थिति में लोग खुद ही दवा दुकान से खरीदते हैं और इसे गटक जाते हैं. डाइजीन अपच, एसिडिटी, पेट दर्द और हार्टबर्न में बेहतर काम करती है.
दरअसल, पेट में जब ज्यादा एसिड बन जाता है तो गैस और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है. डाइजीन एंटासीड दवा है जो एसिड को कम कर पेट संबंधी इन समस्याओं से छुटकारा दिलाती है. इसलिए जैसे ही सीने में जलन होती है लोग बिना डॉक्टरों से सलाह लिए डाइजीन जेल को पी लेते हैं. इसलिए यदि आप भी इस दवा को पीते हैं तो सतर्क हो जाएं क्योंकि सरकार ने इस दवा के लिए वार्निंग अलर्ट जारी किया है. सरकार ने इस दवा की निर्माता कंपनी एबॉट इंडिया से डाइजीन की इस बैच को वापस लेने को कहा है.
गोवा में बनी दवा हो सकता है अनसेफ
दरअसल, इस दवा को लेकर आई शिकायतों के बाद दवा नियामक संस्था ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)ने इसे वापस लेने का निर्णय दिया है. इस दवा को लेकर शिकायत थी कि इसका स्वाद और गंध बेहद खराब है. डाइजीन सिरप का रंग पिंक या गुलाबी होता है और स्वाद भी इसका मीठा होता है. लेकिन डाइजीन की जिस बोतल की बात की जा रही है या जिसे सरकार ने वापस लेने के लिए कहा है वह सफेद रंग का है और उसका स्वाद भी कड़वा है. वहीं इसकी गंध बेहद तीखी थी. सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो डाइजीन जेल की दवा गोवा में बनी है उसे मरीज न लें, क्योंकि यह प्रोडक्ट अनसेफ हो सकता है और इसके शरीर पर विपरीत परिणाम सामने आ सकते हैं.
कंपनी ने मानी चूक
मिंट अखबार ने एबॉट कंपनी के प्रवक्ता के हवाले से बताया कि भारत में एबॉट ने स्वैच्छिक रूप से इस डाइजीन जेल को वापस कर लिया है. दरअसल, एंटासिड दवा का यह बैच गोवा में बना था. इसे लेकर कुछ ग्राहकों ने शिकायत थी जिसमें उन्होंने कहा था कि इसका स्वाद और गंध खराब है. इसके बाद हमने इसे वापस लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि डाइजीन के अन्य प्रोडक्ट जैसे कि डाइजीन टैबलेट, स्टीक पैक आदि में इस तरह की समस्याएं नहीं है. इसके अलावा कंपनी के अन्य प्रोडक्शन यूनिट में बने प्रोडक्ट्स में भी कोई खराबी नहीं है और इन यूनिट से बनी दवाइयां लोगों के लिए उपलब्ध है.
डॉक्टरों को दी सलाह
रिपोर्ट के मुताबिक गोवा यूनिट में बने मिंट, ऑरेंज और मिक्स फ्रूट वाले फ्लेवर का सेवन नहीं किया जाना चाहिए. डीसीजीआई की ओर से जारी अलर्ट में कहा गया है कि डॉक्टरों और हेल्थकेयर प्रोफेशनलों को यह दवा मरीजों को सोच-समझकर लिखनी चाहिए और उन्हें इस दवाई को नहीं लेने के लिए जागरूक करना चाहिए. अगर इस दवा से किसी को किसी तरह का नुकसान हो रहा है तो इसकी सूचना तुरंत डीजीसीआई को दें.