दूरसंचार विभाग (DoT) 26 GHz (मिलीमीटर वेव बैंड) 5G स्पेक्ट्रम के लिए न्यूनतम रोल आउट दायित्वों को पूरा न करने के लिए लगाए गए जुर्माने को माफ करने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक अभी तक 5G इकोसिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होने के कारण यह फैसला लिया जा सकता है।

विभाग ने वोडाफोन आइडिया और अडानी डेटा नेटवर्क को पहले ही इस बैंड में 5G नेटवर्क के निर्धारित रोलआउट में देरी को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हालांकि, कंपनियों द्वारा इकोसिस्टम की कमी के बारे में बताए जाने के बाद, दूरसंचार विभाग इस मामले पर नए सिरे से विचार कर रहा है। इस बारे में जल्द ही अंतिम निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।

दूरसंचार विभाग ने इस मुद्दे पर अपने तकनीकी विभाग, दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (TEC) से भी सुझाव मांगे हैं। यदि जुर्माना नहीं लगाया जाता है, तो इससे उन कंपनियों जैसे अडानी और वोडाफोन आइडिया को राहत मिलेगी जो अभी तक रोलआउट के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाई हैं। वहीं, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल पहले ही न्यूनतम लक्ष्यों को पूरा कर चुकी हैं।

जुर्माने के नियम

नियमों के अनुसार, यदि कोई कंपनी निर्धारित समय के भीतर नेटवर्क को शुरू करने में विफल रहती है, तो सरकार पहले 13 सप्ताह के लिए प्रति सप्ताह ₹1 लाख; अगले 13 सप्ताह के लिए ₹2 लाख का जुर्माना लगा सकती है; और उसके बाद, ₹4 लाख प्रति सप्ताह का जुर्माना 26 सप्ताह तक लगाया जा सकता है। इन सबका अधिकतम जुर्माना राशि ₹1.40 करोड़ तक हो सकती है। किसी भी चरण में 52 सप्ताह से अधिक की देरी के लिए, अधिकतम जुर्माना राशि के अलावा, आवंटित स्पेक्ट्रम को वापस भी लिया जा सकता है।

कब शुरू हुआ था 5G स्पेक्ट्रम

5G सेवाओं के लिए एयरवेव्स, पिछले वर्ष अगस्त 2022 के मध्य तक नीलामी विजेताओं- रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अडानी डेटा नेटवर्क को आवंटित किए गए थे। कंपनियों को पिछले साल अगस्त-सितंबर तक पहले साल के रोल आउट की शर्तों को पूरा करना अनिवार्य था।

हालांकि, अडानी और वोडाफोन आइडिया दोनों ने शर्तें पूरी नहीं की हैं, जिसके कारण उन्हें दूरसंचार विभाग द्वारा नोटिस जारी किए गए थे।

वोडाफोन आइडिया ने 26 गीगाहर्ट्ज बैंड के साथ-साथ मिड-बैंड (3300-3600 मेगाहर्ट्ज) में स्पेक्ट्रम खरीदा था। वहीं, अडानी ने केवल 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदा है। वोडाफोन आइडिया ने 17 सर्किलों में मिड-बैंड स्पेक्ट्रम और 16 सर्किलों में 26 गीगाहर्ट्ज़ एयरवेव्स खरीदे, जबकि अडानी ने छह सर्किलों में स्पेक्ट्रम खरीदा था।

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