सरकारी स्वामित्व वाली इस्पात कंपनी SAIL (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) ने उभरते बाजारों में अवसरों का लाभ उठाने के उद्देश्य से दुबई में अपना कार्यालय स्थापित किया है, इसकी जानकारी शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में दी गई।
बयान के अनुसार, SAIL इस्पात मंत्रालय के अधीन तीसरी ऐसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई है, जिसने दुबई में अपना विदेशी कार्यालय खोला है। इस कार्यालय का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया है। यह SAIL का मध्य पूर्व में पहला अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि कार्यालय है, जो कंपनी की वैश्विक विस्तार रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस कदम के ज़रिए SAIL अब मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) क्षेत्र में व्यापारिक संभावनाओं को सक्रिय रूप से तलाशेगी। इस्पात मंत्रालय ने इस पहल को ‘मेक इन इंडिया को वैश्विक बनाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास’ बताया है।
केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने किया SAIL दुबई कार्यालय का उद्घाटन
केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने SAIL दुबई कार्यालय का उद्घाटन किया। इससे MENA क्षेत्र में विस्तार को इस्पात और भारी बल मिलेगा। उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने गुरुवार को दुबई में SAIL (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) के पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि कार्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर दुबई स्थित भारत के कॉन्सुल जनरल सतीश कुमार सिवन, SAIL के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश, और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
दुबई में स्थित यह कार्यालय एक रणनीतिक केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिसका उद्देश्य SAIL की इस्पात निर्यात क्षमताओं को बढ़ाना, उद्योग से जुड़ाव को मजबूत करना और भारत–UAE व्यापारिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना है।
बयान के अनुसार, दुबई को MENA (मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका) क्षेत्र का प्रवेश द्वार माना जाता है और इसकी निवेशक-अनुकूल नीति SAIL के लिए उभरते बाजारों में विस्तार हेतु आदर्श आधार प्रदान करती है।
इस्पात मंत्रालय के अनुसार, दुबई में स्थित यह कार्यालय रणनीतिक हब के रूप में कार्य करेगा, जो SAIL को:
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इस्पात निर्यात को बढ़ाने,
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उद्योग से जुड़े संबंधों को गहरा करने, और
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भारत–UAE व्यापार संबंधों को मजबूत करने में सहायता करेगा।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि दुबई की स्थिति मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA) क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में और वहां का निवेशक-अनुकूल वातावरण SAIL को उभरते बाजारों में विस्तार के लिए एक आदर्श आधार प्रदान करता है। बयान में यह भी कहा गया कि यह कदम SAIL के एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी इस्पात निर्माता के रूप में विकास का प्रतीक है और अंतरराष्ट्रीय इस्पात मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
यह कदम भारत की इस दृष्टि के अनुरूप है कि देश की इस्पात उद्योग को वैश्विक स्तर पर मजबूत उपस्थिति मिले और वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल किया जा सके। यह SAIL के एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी इस्पात निर्माता के रूप में विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, और अंतरराष्ट्रीय इस्पात बाज़ार में भारत की बढ़ती साख को भी दर्शाता है।