केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचने वाली कंपनियों की Warranty policies पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। सरकार की साफ हिदायत है कि वॉरंटी के नाम पर उपभोक्ताओं को धोखा देने की कोशिश ना की जाए। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों को निर्देश दिया है कि वो ग्राहकों को वॉरंटी के बारे में साफ और सही जानकारी मुहैया करवाएं।

वॉरंटी की शुरुआत: बिक्री की तारीख से

केंद्र सरकार का कहना है कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद की वॉरंटी उसकी बिक्री की तारीख से शुरू होनी चाहिए, ना कि उत्पाद की निर्माण तिथि से। इस शर्त से उपभोक्ताओं को सही वॉरंटी मिल सकेगी और उन्हें धोखा नहीं दिया जा सकेगा।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम: धारा 2 (9) का महत्व

रिपोर्ट्स की मानें, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (9) के तहत ग्राहक को किसी भी उत्पाद की सेवा, गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में बिक्री से पहले जानकारी पाने का अधिकार है। इस अधिनियम का अनुपालन जरूरी है, ताकि उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा हो सके।

भ्रामक विज्ञापनों पर सख्ती की तैयारी

केंद्र सरकार उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए जल्द ही भ्रामक विज्ञापनों, सरोगेट विज्ञापनों, ग्रीवाशिंग और अनचाहे कॉल पर दिशा-निर्देश जारी करेगी। इन दिशा-निर्देशों के तहत, सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थानों को उनकी सहमति के बिना टॉपर्स के व्यक्तिगत विवरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी।

आईएएस कोचिंग संस्थानों पर निगरानी

मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा, “हम उपभोक्ता से संबंधित अधिकांश मुद्दों के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहे हैं।” मसौदा नियमों के अनुसार, कोचिंग संस्थानों को भ्रामक व्यापार प्रथाओं से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

वॉरंटी अवधि की पारदर्शिता

अक्सर उपभोक्ताओं को 5 से 10 साल की वॉरंटी का दावा किया जाता है जबकि असली वॉरंटी अवधि बहुत कम होती है। इसके आलावा, वॉरंटी में तमाम तरह की शर्तें जोड़ दी जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है।

 

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