केंद्रीय वित्त मंत्री आने वाले बजट को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों से लगातार बैठकें कर रही हैं। माना जा रहा है कि इस बार सरकार किसानों और मनरेगा मज़दूरों के लिए कुछ खास प्रावधान ला सकती है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिले और रोज़गार के मौक़े बढ़ें। इसके अलावा, वित्तीय संस्थानों ने भी सरकार के सामने मांग रखी है कि बचत को बढ़ावा देने के लिए सावधि जमा (FD) पर टैक्स छूट या किसी तरह के अतिरिक्त प्रोत्साहन की घोषणा होनी चाहिए।
किसानों को मिल सकती है राहत
सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाली धनराशि को 6 हज़ार रुपये सालाना से बढ़ाकर 8 हज़ार रुपये करने पर चर्चा हो रही है। किसान संगठनों का कहना है कि खेतीबाड़ी में बढ़ते ख़र्च के मद्देनज़र यह रकम अभी भी काफ़ी कम है। उनका तर्क है कि पिछले कुछ सालों में खाद, बीज, बिजली और पानी के दाम तेज़ी से बढ़े हैं, ऐसे में सरकार को कम से कम इस राशि में 2 हज़ार रुपये की बढ़ोतरी तो करनी ही चाहिए। अगर यह मांग पूरी होती है, तो क़रीब 12 करोड़ किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
मनरेगा मज़दूरों की भी होगी सुनवाई?
बताया जा रहा है कि मनरेगा मज़दूरों का दायरा बढ़ाने और दैनिक मज़दूरी दर में संशोधन को भी बजट में शामिल किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल के बाद से ग्रामीण इलाकों में रोज़गार की चुनौतियाँ कुछ हद तक बढ़ी हैं। ऐसे में मनरेगा के बजट आवंटन में बढ़ोतरी से गाँवों में लोगों को रोज़गार के ज़्यादा मौक़े मिलेंगे। इससे उनकी आय बढ़ेगी और ग्रामीण बाज़ार में ख़र्च करने की क्षमता भी बेहतर होगी।
सावधि जमा (FD) पर टैक्स छूट की गुजारिश
वित्तीय संस्थानों और बैंकों का कहना है कि लोग बचत करने से पीछे न हटें, इसके लिए एफडी पर टैक्स में कुछ रियायत या एक्स्ट्रा बेनिफ़िट दिया जाना चाहिए। हाल के दिनों में बचत दर में कमी नज़र आई है, जिस पर बैंकों ने चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि अगर सरकार एफडी को आकर्षक बनाएगी, तो आम जनता में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ेगी और बैंकिंग सिस्टम को भी मज़बूती मिलेगी। इसके लिए वित्त मंत्री के सामने प्रस्ताव रखा गया है कि एफडी के ब्याज पर लगने वाले टैक्स की सीमा या स्लैब में कुछ राहत मिले।
उद्योग जगत और रोजगार पर भी नज़र
इस बार किसान संगठनों के साथ-साथ उद्योग क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों की भी बैठक हुई, जहाँ उन्होंने सरकार से मांग की कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए बजट में उदार प्रावधान होने चाहिए। इन प्रावधानों में कर छूट, सस्ती फाइनेंसिंग और बेहतर इंफ़्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। उद्योगपतियों का मानना है कि इससे रोज़गार के नए रास्ते खुलेंगे, जिससे बेरोज़गारी की दर कम होगी और अर्थव्यवस्था को रफ़्तार मिलेगी।