भारत की 45% आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन यह क्षेत्र GDP में सिर्फ 15% का योगदान देता है। ऐसे में 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश होने वाले बजट पर किसानों की उम्मीदें टिकी हुई हैं।
ऋण पर ब्याज दरों में कटौती की मांग
किसानों की सबसे बड़ी मांग है कि कृषि ऋण पर ब्याज दरों में कमी की जाए। किसानों का कहना है कि अगर ब्याज दरों को 1% तक कम कर दिया जाए, तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
पीएम किसान सम्मान निधि की राशि में वृद्धि
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) के तहत किसानों को सालाना ₹6,000 मिलते हैं। किसानों की मांग है कि इस राशि को बढ़ाकर ₹12,000 सालाना कर दिया जाए ताकि उन्हें आर्थिक संबल मिल सके।
शून्य प्रीमियम वाली फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसान शून्य प्रीमियम वाली फसल बीमा योजना की मांग कर रहे हैं। इससे छोटे और सीमांत किसानों को काफी राहत मिलेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी
पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान MSP की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर MSP को कानूनी दर्जा मिल जाए, तो किसानों को अपनी फसलों का सही दाम मिल सकेगा।
जैव ईंधन और इथेनॉल को बढ़ावा
विशेषज्ञों का मानना है कि जैव ईंधन और इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने से किसानों को अतिरिक्त आय के साधन मिल सकते हैं। इसके लिए बजट में अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए अधिक फंड की आवश्यकता है।
कीटनाशकों और उर्वरकों पर GST कटौती
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने सुझाव दिया है कि कीटनाशकों पर GST को 18% से घटाकर 5% कर दिया जाए। साथ ही, बीज और कृषि मशीनरी पर भी GST माफ करने की मांग की गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि का प्रदर्शन
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारतीय कृषि क्षेत्र ने औसतन 4.18% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की है। हालांकि, किसानों को अब भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे फसल के उचित दाम न मिलना, प्राकृतिक आपदाएं और सरकारी नीतियों में अस्थिरता।