ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो के निर्माण में सामने आ रही मुश्किलों को दूर करने की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। गुरुग्राम के सेक्टर-4 और सेक्टर-9 के कुछ मकान मेट्रो अलाइनमेंट के बीच आ रहे थे, जिनके कारण प्रोजेक्ट पर काम रुक-रुक कर चल रहा था। अब हरियाणा मास रैपिड ट्रांज़िट कॉरपोरेशन (HMRTC) और गुरुग्राम मेट्रो रेल लिमिटेड (GMRC) के अधिकारी इन मकान मालिकों से बातचीत करके समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार से वैकल्पिक प्लॉट देने की माँग
जिन मकान मालिकों की प्रॉपर्टीज़ मेट्रो रूट में आ रही हैं, उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि अगर उनके घर अधिगृहित किए जाते हैं, तो बदले में उन्हें वैकल्पिक प्लॉट या उचित मुआवज़ा दिया जाए। बताया जा रहा है कि हाल ही में इन मकान मालिकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व अन्य उच्चाधिकारियों से मुलाक़ात की है। सरकार ने भी इस मुद्दे पर सहयोग का आश्वासन दिया है, ताकि मेट्रो प्रोजेक्ट रुकने के बजाय तेज़ी से आगे बढ़े।
27 स्टेशनों पर होगा निर्माण
ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो के तहत कुल 27 स्टेशनों का निर्माण किया जाना है। इस रूट की लंबाई क़रीब 28.5 किलोमीटर होगी और इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 5452 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह मेट्रो गुरुग्राम के कई पुराने इलाकों को जोड़ते हुए बड़ी आबादी को सीधी कनेक्टिविटी देने वाली है। इससे न सिर्फ़ लोगों को ट्रैफ़िक जाम की समस्या से राहत मिलेगी, बल्कि रोज़मर्रा की यात्रा भी सरल और सुगम हो जाएगी।
अधिग्रहण पर तेजी से हो रहा विचार
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यदि सीधे-सीधे इन मकानों का अधिग्रहण करने में कोई परेशानी आती है, तो मकान मालिकों को दूसरी जगह प्लॉट या फ्लैट देने की संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं। इससे भविष्य में कोई विवाद नहीं होगा और मेट्रो प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा किया जा सकेगा। फिलहाल कई विकल्पों पर विचार चल रहा है, ताकि सभी पक्षों की सहमति के साथ निर्माण कार्य आगे बढ़े।