मोदी सरकार के फैसले से कॉरपोरेट जगत को राहत छोटे इनकम टैक्स अपराध होंगे डिक्रिमिनलाइज

नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में कॉरपोरेट जगत की लंबे समय से चली आ रही एक मांग को पूरा करने जा रही है। एक सीनियर अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया कि इनकम टैक्स (Income Tax Law) से जुड़े छोटे अपराधों को सरकार डिक्रिमिनलाइज (Decriminalise) करने या अपराध मुक्त करने जा रही है। इसकी जगह पर ऐसे मामलों में सिर्फ जुर्माना लगाने की बात कही गई है। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य कारोबार को आसान बनाना है।

 

इनीशियल 100 दिनों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर जोर

अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, “सरकार अपने पहले 100 दिनों के कार्यकाल में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देगी। इसके तहत सरकार इनकम टैक्स नियमों के कुछ प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज करने पर विचार कर रही है। इसके तहत छोटे अपराधों की एक सीमा तय की जा सकता है। वहीं ऐसे मामलों में मुकदमेबाजी को समाप्त करने के लिए सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा।”

 

अब तक का कोर्ट केस का रुख

इनकम टैक्स लॉ के प्रावधानों को अभी तक अपराधमुक्त नहीं किया गया है। इनकम टैक्स के लिए, सरकार का अब तक का रुख कोर्ट केस का रहा है। उन्होंने कहा, “आयकर अपराधों से जुड़े कुछ नियमों को अपराधमुक्त किया जाएगा। सरकार अपराधों को कम करने पर विचार कर रही है, ताकि छोटे अपराधों के लिए मुकदमेबाजी न हो, केवल जुर्माना हो।”

 

कॉरपोरेट जगत के लिए बड़ी राहत

सरकार में फिलहाल अपराधों के लिए कंपाउंडिंग की सीमा तय करने के लिए आंतरिक चर्चा चल रही है। फिलहाल इनकम टैक्स कानून (Income Tax Law) में टीडीएस (TDS) के भुगतान में देरी जैसे मामूली अपराधों के लिए भी आपराधिक मुकदमा चलाया जाता है और ऐसे मामलों में कंपनी के डायरेक्टरों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। इनकम टैक्स कानून (Income Tax Law) की विभिन्न धाराओं के तहत कंपनी के किसी भी कर्मचारी पर मुकदमा चलाया जा सकता है और तीन महीने से लेकर सात साल तक की कैद हो सकती है।

 

टीडीएस पेमेंट में देरी: बड़ी समस्या

टीडीएस पेमेंट (TDS Payment) में देरी एक बड़ी समस्या बन जाती है क्योंकि कंपनी के डायरेक्टरों पर भी मुकदमा चलाया जाता है। इंडस्ट्री ने इसे जुर्माने से बदलने का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि केवल अधिक गंभीर अपराधों के मामलों में ही आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए। इंडस्ट्री के एक सूत्र के अनुसार, पेनाल्टी (Penalty) की राशि इतनी होनी चाहिए कि लोग इसका देरी से भुगतान करने से बचे। लेकिन इसके बाद भी टीडीएस भुगतान में देरी हो सकती है, तो इसे सिविल लायबिलिटी (Civil Liability) के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

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