आयकर दाखिल करने का मौसम शुरू हो गया है और आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। पुराने टैक्स सिस्टम के तहत जिन करदाताओं ने पिछले वित्तीय वर्ष में निवेश किया है, उन्हें इसे अपने आईटीआर में दिखाना होगा। मासिक वेतन या व्यापार से आय प्राप्त करने वाले लोगों को आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होता है। इस वजह से हम टैक्स बचाने के कई तरीकों की तलाश करते हैं जो हमारे टैक्स भार को कम करने में मदद करते हैं।
इन विकल्पों में से एक तरीका क्लबिंग ऑफ इनकम है।
क्लबिंग ऑफ इनकम क्या है?
क्लबिंग ऑफ इनकम एक ऐसा तरीका है जिससे आप अपनी पत्नी के नाम पर निवेश करके या उनके खाते में पैसे जमा करके टैक्स बचा सकते हैं। इसके लिए आपको इसके पूरे नियमों को जानना बहुत जरूरी है।
क्लबिंग ऑफ इनकम का काम कैसे करता है?
आयकर अधिनियम की धारा 64(1)(ii) और धारा 64(1)(iv) के तहत, यदि आप अपनी पत्नी के खाते में पैसे जमा करते हैं और उससे कोई आय (जैसे ब्याज, किराया, डिविडेंड) होती है, तो वह आय आपकी कुल आय में जोड़ दी जाती है और उस पर टैक्स लगता है। इसे क्लबिंग ऑफ इनकम कहा जाता है।
आप न केवल पत्नी के साथ, बल्कि नाबालिग बच्चे, बहू या अन्य निर्दिष्ट व्यक्ति के साथ भी इनकम क्लब कर सकते हैं। यहां हम केवल पत्नी के साथ इनकम क्लबिंग के बारे में चर्चा करेंगे।
क्लबिंग ऑफ इनकम का लाभ कैसे उठाएं?
गिफ्ट टैक्स
यदि आप अपनी पत्नी को कोई रकम गिफ्ट करते हैं, तो उस पर कोई गिफ्ट टैक्स नहीं लगता। हालांकि, इस रकम से उत्पन्न आय पर क्लबिंग प्रावधान लागू होते हैं।
निवेश के जरिए टैक्स बचाएं
अगर आपकी पत्नी की आय कम है या नहीं है, तो आप उनके नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट, म्युचुअल फंड्स, या पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं। इससे आपको कम टैक्स देना पड़ेगा।
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
अगर आप किराये के मकान में रहते हैं और मकान आपकी पत्नी के नाम पर है, तो आप उन्हें किराया देकर HRA क्लेम कर सकते हैं। इससे आपकी टैक्सेबल इनकम कम होगी।
सेविंग्स अकाउंट में पैसे ट्रांसफर
अपनी पत्नी के सेविंग्स अकाउंट में पैसे जमा करके आप उस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स बचा सकते हैं। सेविंग्स अकाउंट के ब्याज पर ₹10,000 तक की आयकर छूट मिलती है।