भारत ने चावल और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद नेपाल में चावल की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे नेपाल को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
नेपाल में चावल की महंगाई: भारतीय प्रतिबंध के बाद नेपाल में चावल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। नेपाल में चावल का मुख्य उपयोग भोजन के रूप में होता है।
नेपाल सरकार की मांग: नेपाल सरकार ने भारत से 1 लाख टन चावल, 10 लाख टन धान और 50,000 टन चीनी की मांग की है। इसके लिए वे भारत सरकार को पत्र भी लिख चुके हैं।
जमाखोरी का माहौल: भारतीय प्रतिबंध के बाद नेपाली व्यापारियों ने चावल की जमाखोरी शुरू कर दी, जिससे चावल की कीमतें और भी बढ़ गईं।
चावल की आयात पर प्रतिबंध: अल नीनो तूफान के कारण भारत ने जुलाई में नेपाल को जाने वाले चावल पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे पहले नेपाल ने भारत से अधिक मात्रा में चावल की आयात की थी।
नेपाल की तैयारियां: नेपाल सरकार ने त्योहारी सीजन में चावल और चीनी की अधिक खपत को देखते हुए भारत से इन उत्पादों की आयात की मांग की है, ताकि जनता को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
English Summary: Following India’s ban on the export of rice and sugar, Nepal is facing a surge in rice prices. The situation has alarmed the locals, fearing a severe shortage if India doesn’t lift the ban. In response, the Nepalese government has requested India to provide 100,000 tons of rice, 10 lakh tons of paddy, and 50,000 tons of sugar. The ban, imposed due to the Al Nino storm, has led to hoarding by Nepalese traders, further escalating the prices. Given that rice is a staple in Nepal and primarily imported from India, the ban has created a tense atmosphere among the consumers. The Nepalese government is now taking measures to ensure adequate stock of essential commodities for the upcoming festive season.