माना जा रहा है कि कोरोनावायरस के बाद भारत की अर्थव्यवस्था उबरने के रास्ते पर है इस कारण पेट्रोल डीजल और ऊर्जा के अन्य साधनों की खपत भी बढ़ रही है लेकिन तेल के उत्पादन में कटौती की घोषणा सऊदी अरब ने की है. और यह भारत के लिए एक नई संकट की घड़ी है.

 

भारत में ऐसे ही पेट्रोल और डीजल के दाम अब फिर से 100 रुपए होने को है, ऐसे में सऊदी के अध्यक्षता में ओपेक देशों का तेल के उत्पादन में कटौती इस मुद्दे को और बढ़ाने के लिए काफी है. किसी भी प्रगतिशील देश के लिए ऊर्जा की जरूरत सबसे बड़ी होती है और यह ऊर्जा की जरूरत भारत के लिए और भी अहम इसलिए हो जाता है क्योंकि भारत अपने जरूरत का 80% ऊर्जा आयात करता है.

सऊदी अरब के अध्यक्षता में लिए गए इस फैसले से कोरोनावायरस के बाद अर्थव्यवस्था को रिकवरी के रास्ते पर लाना और मुश्किल हो जाएगा क्योंकि तेल के दाम बढ़ने के साथ ही महंगाई उसी रफ्तार से अपना गति पकड़ लेती है. भारत के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा की तेल पैदा करने वाले और उपभोग करने वाले के बीच में सामंजस्य जरूरी है और अगर यह सामंजस्य बिगड़ता है तो वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में भी वैसे ही बिगड़ जाएंगे.

 

भारत की नितिया भारत पर भारी

हालांकि भारत में तेल की कीमतें केवल विदेशी तेल की कीमतों के बढ़ने की वजह से महंगी नहीं है इसके पीछे का कारण भारत में अलग-अलग राज्यों में अलग अलग TAX हैं इसके साथ केंद्रीय टैक्स पेट्रोलियम पदार्थों पर भारत में कम नहीं है. अगर गौर से देश के मूल्यों के बढ़ोतरी की बात करें तो अभी वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें काफी कम है और यह इजाफा भी बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन भारत में अपनी नीतियों के वजह से यह तेल और महंगे होने के आसार हैं.

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