भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अंडर-19 विश्व कप जीतकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम की है। इसके लिए पूरी टीम को ढेर सारी शुभकामनाएं दी जानी चाहिए। मगर यह दुखद है कि मीडिया से हमारी बेटियों की इस जीत को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जितना महत्व वह पुरुष खिलाड़ियों की जीत को देता रहा है। अगर हमारी पुरुष टीम ने यह उपलब्धि हासिल की होती, तो मीडिया ही नहीं, पूरा देश उनके आगे बिछ चुका होता।
सारी खबरें छोड़कर दिन-रात उन्हीं की जीत पर चर्चा हो रही होती। खिलाड़ियों के सम्मान में कसीदे पढ़े जा रहे होते। इनामों की बौछार हो रही होती। लगातार बधाई संदेश दिए जा रहे होते। मगर महिला खिलाड़ियों की जीत पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। एक आम खबर के रूप में इस जीत को देखा गया। यह दोहरी मानसिकता है उसकी । यदि भारतीय महिला टीम को भी सभी खेलों में वही सम्मान मिले, जो पुरुष टीम को मिलता है, तो हमारी नारी शक्ति सभी खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर इस देश का नाम और रोशन कर सकती है। हमें महिला खिलाड़ियों को भी उतना ही सम्मान देना चाहिए जितना हमने पुरुष खिलाड़ियों को दिया हैं.
जीत को पर्याप्त महत्व मिले
अंडर-19 महिला क्रिकेट खिलाड़ियों का यह विश्व कप टी-20 के फॉर्मेट में खेला गया था और यह पहला संस्करण था। इसका अर्थ है कि पहले टूर्नामेंट में ही महिला क्रिकेटरों ने बाजी मार ली। मगर न तो उनकी जीत को उतनी तारीफ मिली, और न उनके कौशल को। अगर आपने फाइनल मुकाबला देखा होगा, तो अर्चना देवी के डाइव पर जरूर ताली बजाई होगी, जब उन्होंने अविश्वसनीय तरीके से कैच पकड़कर इंग्लैंड की बल्लेबाज रयाना मैकडोनाल्ड को पैवेलियन वापस भेज दिया।
मगर मुख्यधारा के मीडिया ने महज खबर दिखाकर अपने कर्तव्य पूरे कर लिए। मीडिया यदि इनकी सफलता की भी महिमा गाए, तो न सिर्फ इन खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ेगा, बल्कि देश की अन्य बेटियां भी इससे प्रोत्साहित होंगी।