आज का दिन भारतीय रुपये के लिए कुछ चुनौतीपूर्ण शुरू हुआ। बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 12 पैसे गिरकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.06 पर पहुंच गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। विदेशी मुद्रा बाजार में कई बदलावों की वजह से यह स्थिति बनी।
फेडरल रिजर्व का प्रभाव
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2025 के लिए अपने मौद्रिक नीति के अनुमानों को समायोजित किया है। इसके कारण से निवेशकों में सतर्कता बढ़ी है और इसका दबाव इंडियन रुपया समेत अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर पड़ा है।
बाजार में होने वाले बदलाव
बाजार में रुपया कमजोर रुख के साथ खुला और जल्द ही यह 85.00 के स्तर को पार कर गया। इस स्थिति में आयातकों द्वारा डॉलर की बढ़ती मांग और विदेशी पूंजी की निकासी ने भी अपना योगदान दिया। साथ ही, घरेलू शेयर बाजारों में नरमी के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।
डॉलर और अन्य मुद्राएं
इस बीच, अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.01 प्रतिशत की बढ़त के साथ 108.03 पर था। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73.08 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर कारोबार करता देखा गया।
विदेशी निवेशकों का कदम
भारतीय शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बुधवार को बाजार में बिकवाल रहे। उन्होंने शुद्ध रूप से 1,316.81 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।
भारतीय रुपये का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हाल का प्रदर्शन कई आर्थिक कारकों और वैश्विक मानकों का परिणाम है। इसका अध्ययन बाजार के निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है।