इस युद्ध के दौरान जापानी सेना ने चीन पर हमला बोल दिया था और जापानी सैनिकों ने चीन के नागरिकों पर इतने अत्याचार किए जो कि अकल्पनीय थे। लेकिन बाद में, जापानी सैनिकों ने इस तथ्य को दर्शाने वाली अपनी स्वीकारोक्तियां भी लिखी हैं।
जापानी सैनिकों द्वारा चीनी लोगों पर अपने अपने कुबूलनामों को चीन का आर्काइव प्रशासन जारी कर रहा है। इनमें जापानी सैनिकों ने बताया है कि किस तरह उन्होंने लोगों की हत्या की, लूटमार मचाई और महिलाओं-लड़कियों के साथ बलात्कार किए। जापानियों का यह कहर चीनी और कोरियाई लोगों पर टूट पड़ा था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ‘नानजिंग सामूहिक नरसंहार’ या ‘रेप ऑफ नानजिंग’ था।
विश्व युद्ध के दौरान जापान की सेना ने चीन की तत्कालीन राजधानी नानजिंग पर हमला किया और उसे अपने अधिकार में ले लिया। इस शहर में मात्र सात दिनों के अंदर ही जापानी सैनिकों ने 50 हजार महिलाओं से गैंगरेप किए।
जिंदा काट दिया करते थे जापानी सैनिक.
जापानी सैनिकों की बर्बरता इस तथ्य से जानी जा सकती है कि वे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को जिंदा ही काट दिया करते थे। मात्र एक सप्ताह के दौरान ही जापानी सैनिकों की दरिंदगी इतनी अधिक थी कि गठबंधन सेनाओं को विचार करना पड़ा कि कैसे जापानी सैनिकों के इन जुल्मों को रोका जाए? कैसे जापानियों को हथियार डालने के लिए मजबूर किया जाए?
अंत में गठबंधन सेना ने जापान के हिरोशिमा और तीन दिन बाद नागासाकी पर परमाणु बमों से हमला कर दिया। यह हमला इतना भयावह था कि जापान को हथियार डालने के लिए राजी होना पड़ा और अमेरिका व अन्य देशों की सेना को इसे अंतिम हथियार के तौर इस्तेमाल करना पड़ा।
अगर जापानी सैनिक चीनियों को लेकर इतनी क्रूरता न बरतते तो शायद परमाणु हमले के विकल्प पर विचार नहीं किया जाता लेकिन जापानी सैनिकों के अमानवीय अत्याचारों ने मजबूर कर दिया कि उन्हें रोकने के लिए अंतिम विकल्प को इस्तेमाल करना पड़ा जो कि मानवता के लिए अत्यधिक विनाशकारी साबित हुआ।