मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम कसने के लिए कुवैत ने कड़ा कदम उठाया है. हाल ही में स्वीकृत नए मसौदा कानून के तहत अब केडी 500,000 (लगभग ₹13.5 करोड़ या $1.62 मिलियन) तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इस कानून का उद्देश्य धनशोधन (Money Laundering) और आतंकी वित्तपोषण (Terrorist Financing) जैसे आर्थिक अपराधों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करना है.
मसौदा कानून को कैबिनेट बैठक में मंजूरी
कुवैती सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय कानूनों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. सरकार ने कहा कि यह मसौदा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों के अनुरूप है.
कुवैत सरकार ने धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण पर कड़ा नियंत्रण लगाने के लिए तैयार किए गए मसौदा कानून को अपनी साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में स्वीकृति दे दी है. यह मंजूरी मंत्रिस्तरीय कानूनी मामलों की समिति (Ministerial Legal Affairs Committee) की सिफारिश के आधार पर दी गई.
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मसौदा कानून को अब कुवैत के अमीर, शेख मशाल अल अहमद अल जाबेर अल सबाह (Sheikh Meshal Al Ahmad Al Jaber Al Sabah) के पास अंतिम अनुमोदन (Final Approval) के लिए भेजा गया है.
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अमीर की स्वीकृति के बाद यह कानून आधिकारिक रूप से प्रभावी हो जाएगा.
कुवैत की एक अदालत ने एक महिला को सूदखोरी (Usury) और धनशोधन (Money Laundering) के गंभीर आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि उपलब्ध सबूत आरोप सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं थे. यह फैसला ऐसे समय आया है जब कुवैत सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए एक नया कड़ा मसौदा कानून भी मंजूर किया है.
कैबिनेट ने किया कानून का अनुमोदन
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मसौदा कानून को हाल ही में कैबिनेट की साप्ताहिक बैठक में मंजूरी दी गई.
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यह मंजूरी मंत्रिस्तरीय कानूनी मामलों की समिति की सिफारिश के बाद दी गई.
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अब यह कानून अमीर शेख मशाल अल अहमद अल जाबेर अल सबाह के पास अंतिम अनुमोदन के लिए भेजा गया है.
मसौदा कानून के मुख्य बिंदु:
1. तत्काल प्रभाव वाला निर्णय तंत्र:
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कैबिनेट के निर्णय विदेश मंत्री की सिफारिश के आधार पर लिए जाएंगे.
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ये निर्णय जारी होते ही प्रभावी (immediately enforceable) होंगे, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित उपायों में कोई विलंब न हो.
2. ‘गुड फेथ’ में काम करने वालों की सुरक्षा:
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कानून में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो व्यक्ति या संस्थाएं “सद्भावना (Good Faith)” में काम कर रही हैं, उनके कानूनी अधिकारों की सुरक्षा की जाएगी.
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यह प्रावधान अनजाने में हुई त्रुटियों या निर्दोष पक्षों को अनावश्यक दंड से बचाने के लिए है.
3. अमल के लिए लचीलापन और विकेंद्रीकरण:
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कैबिनेट को यह अधिकार होगा कि वह प्रवर्तन शक्तियां (Enforcement Powers) किसी भी संबंधित मंत्री को डेलीगेट (सौंप) कर सके.
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ऐसे मंत्री विशेष समितियाँ गठित कर सकते हैं जो इस कानून के प्रावधानों को लागू करेंगी.
बायलॉज में शामिल होंगी ये प्रमुख व्यवस्थाएं:
1. निर्णयों का प्रकाशन (Publication of Decisions):
कैबिनेट और संबंधित मंत्रियों द्वारा लिए गए फैसले कब और कैसे सार्वजनिक किए जाएंगे, इसकी प्रक्रिया को बायलॉज द्वारा तय किया जाएगा.
2. अपील प्रक्रिया (Appeals Management):
जिन व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, उन्हें अपनी बात रखने या फैसले को चुनौती देने का अवसर मिलेगा।
बायलॉज बताएंगे कि अपील किस मंच पर, किस समयसीमा में और कैसे की जाएगी.
3. जमां की गई संपत्तियों का प्रबंधन (Frozen Asset Handling):
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जब किसी व्यक्ति या संस्था की संपत्ति जब्त (freeze) की जाएगी, तो उसकी सुरक्षा, रखरखाव और कानूनी प्रबंधन की प्रक्रिया को भी बायलॉज द्वारा निर्देशित किया जाएगा.
4. जीवन-जरूरतों के लिए सीमित पहुंच (Limited Access to Funds):
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यदि किसी की संपत्ति फ्रीज़ कर दी गई है, तो वह व्यक्ति मूलभूत आवश्यकताओं (खाद्य, आवास, दवाएं आदि) के लिए कुछ धनराशि निर्धारित सीमा के भीतर निकाल सकेगा — लेकिन यह सख्त नियंत्रण और निगरानी के अंतर्गत होगा.