भारत में जमीनी विवादों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब जमीन से जुड़े दस्तावेज डिजिटल रूप में एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे, जिससे अदालतों में लंबित लाखों मुकदमों का निपटारा तेजी से हो सकेगा।

डिजिटल मैपिंग का महत्व

2008 से चल रही इस पहल के तहत, जमीन से जुड़े दस्तावेजों की डिजिटल मैपिंग की गई है। इसमें कई दुर्लभ दस्तावेज भी शामिल हैं, जिन्हें ढूंढना कठिन था। इस डिजिटलीकरण से जमीनी विवादों के समाधान में तेजी आएगी।

ई-कोर्ट से जुड़ाव

भू-अभिलेखों के डिजिटलाइजेशन के बाद, इस डेटा बेस को ई-कोर्ट के साथ API के जरिए जोड़ा जा रहा है। इससे सिविल केस के दौरान जमीन के दस्तावेजों को ऑनलाइन निकालना संभव होगा।

प्रगति की स्थिति

केंद्र सरकार की इस पहल के तहत, देशभर के 6.57 लाख गांवों में से 6.22 लाख गांवों के 33.37 करोड़ रिकॉर्ड ऑफ राइट्स का 95% डिजिटलाइजेशन पूरा हो चुका है। 77% रजिस्ट्रार ऑफिस इससे जुड़ चुके हैं और 400 जिलों की बैंकों को इस डेटाबेस का एक्सेस दिया गया है।

आगे की दिशा

26 हाई कोर्ट की मंजूरी के बाद, 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने डेटा बेस को ई-कोर्ट से जोड़ने का काम शुरू किया है। इस पहल से जमीनी विवादों के निपटारे में गति और पारदर्शिता आएगी।

महत्वपूर्ण जानकारी तालिका:

विशेषता विवरण
डिजिटल मैपिंग 6.22 लाख गांवों के रिकॉर्ड्स डिजिटलाइज्ड
डेटा बेस एक्सेस 400 जिलों की बैंकों को एक्सेस दिया गया
ई-कोर्ट जुड़ाव 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू
डिजिटलाइजेशन प्रगति 95% रिकॉर्ड ऑफ राइट्स डिजिटलाइज्ड

 

बिहार से हूँ। बिहार होने पर गर्व हैं। फर्जी ख़बरों की क्लास लगाता हूँ। प्रवासियों को दोस्त हूँ। भारत मेरा सबकुछ हैं। Instagram पर @nyabihar तथा lov@gulfhindi.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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