भारत सरकार का अपना ऑटोमोबाइल कम्पनी मारुति जिसमें आज भारत सरकार की कोई हिस्सेदारी नही है। मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड जिसे पहले मारुति उद्योग के नाम से जाना जाता था, इसका जन्म भारत में 24 जनवरी 1981 में हुआ था, इसका पहला कारख़ाना 1981 में इंदिरा गांधी के द्वारा गुरुग्राम हरियाणा में उद्घाटन किया गया।
उस समय मारुति को “लोगों की कार” के नाम से जाना जाता था। यह कम्पनी लोगों के सपने को पूरा करने के लिए बनाया गया था, वाक़ई में यह कार लोगों का सपना पूरा करने के लिए प्रयासरत रहा और आज भी मारुति सबसे किफ़ायती दरो पर वाहनो का निर्माण करता है तथा इस कम्पनी की गाड़ी काफ़ी कम फ़्यूल में अधिक दूरी अत्यधिक माईलेज के लिए आज भी जानी जाती है।
साल 1981 में कारख़ाना स्थापित होने के बाद मारुति ने पहली चार मारुति 800 बनाई जिसकी क़ीमत महज़ 47500 रुपए थी, यही से शुरू हुआ सफलता का कारवां, साल 1983 के दिसम्बर महीने में पहली मारुति 800 बेचा गया। उस वक्त इसकी टॉप स्पीड 50 KM/HR की रफ़्तार से चलाया जा सकता था। उस वक्त का माईलेज भी 25.95 का रेकर्ड किया गया है।
इस बड़े अवसर पर इंदिरा गांधी ने मारुति 800 की चाबी पहले ग्राहक को सौपा, उस पहले कार ओनर का नाम हरपाल सिंह है जिनको इंदिरा गांधी ने अपने हाथों से चाबी सौंपी थी।
मारुति 800 के बाद कम्पनी के द्वारा अलग अलग सेग्मेंट की गाड़ियों का निर्माण शुरू किया जिसमें मारुति 800 के बाद 1984 में OMNI MINIVAN और साल 1985 में भारत की सबसे प्रतिष्ठित ऑफ़ रोडर मारुति जिप्सी को लाँच किया गया।
मारुति ने अपना पहला सीड़ान कार मारुति 1000 का फ़ेसलिफ़्ट वैरिएँट साल 1994 में लाँच किया, जिसे हमलोग एस्टीम के नाम से भी जानते है। आपको बता दें की इस कार ने हाई भारत में सेड़ान की नीव रखी। साल 1993 में हैचबैक ज़ेन लॉन्च किया गया और इसके बाद के वर्षों में यह मॉडल भी भारत में बेहद लोकप्रिय हो गया।