कई तरीके अपना रहे हैं मिलावट खोर दूध के लिए 80 प्रतिशत लोग आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर हैं। अधिक मुनाफे के चक्कर में दूध में मिलावट की समस्या लगातार बढ़ रही है। नकली दूध बनाने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसे सिंथेटिक दूध कहते हैं। इसे बनाने के लिए यूरिया, ग्लूकोज, डिटर्जेंट पाउडर (सर्फ), रिफाइंड तेल के साथ असली दूध को मिलाया जाता है।

  • मिलावटी दूध की जांच महज तीन रुपये के खर्च में कर सकते हैं
  • नेशनल डेरी रिसर्च इंस्टीटयूट (एनडीआरआई) करनाल ने पेपर स्ट्रिप तैयार की है.
  • स्ट्रिप से दूध में छह प्रकार की मिलावट का पता लग जाएगा.
  • स्ट्रिप के ऊपर केमिकल की परत चढ़ाई है, दूध पेपर पर डालते ही रंग बदलता है तो मिलावट है.
  • जांच में तीन से 10 मिनट तक का समय लगता है.

यूरिया का पता लगाने के लिए स्ट्रिप आधा गिलास दूध में डालें तीन मिनट बाद यदि पेपर का रंग बदला तो समझ लें दूध में यूरिया है जितनी मिलावट होगी उतना ही पेपर का रंग गाढ़ा होता जाएगा भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण वेबसाइट और अमेजन से किट खरीद सकते हैं.

त्योहारी सीजन शुरू होते ही दिल्ली समेत देशभर में मिलावट खोर सक्रिय हो जाते हैं। दूध, मिठाई, चॉकलेट, मावा समेत अन्य कई ऐसी चीजें हैं जिनमें भारी मात्रा में मिलावट की जाती है। ऐसे में त्योहार पर मिष्ठान की खरीदारी सावधानी से करें। नकली दूध और मावा आपके स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकता है।

बिहार से हूँ। बिहार होने पर गर्व हैं। फर्जी ख़बरों की क्लास लगाता हूँ। प्रवासियों को दोस्त हूँ। भारत मेरा सबकुछ हैं। Instagram पर @nyabihar तथा lov@gulfhindi.com पर संपर्क कर सकते हैं।