नागपुर मेट्रो द्वारा यात्रियों को टिकट पर दी गई विभिन्न रियायतों का कोई फायदा नहीं हो रहा है. दिसंबर 2022 में जहां रोजाना 1.25 लाख से अधिक यात्री संख्या थी. वह अब घटकर 70 हजार तक सिीमत हो गई है. दिसंबर 2022 में यात्री संख्या 1.25 लाख पहुंचने पर यात्रियों का मेट्रो पर भरोसा बैठा ही था कि महामेट्रो ने जनवरी में चार गुना किराया बढ़ा दिया था. इसके बाद राइडरशिप 80 हजार तक घट गई.
इससे अधिकारी घबरा गए और उन्होंने यात्री संख्या बढ़ाने के लिए कुछ रियायती योजनाएं शुरू की. इसके बाद भी यात्री संख्या कम होती गई. फिर भी अधिकारी किराया वृद्धि वापस लेने को राजी नहीं हैं. दिसंबर अंत तक मेट्रो शहर के सार्वजनिक परिवहन का सबसे सस्ता साधन था.
इससे गरीब, विद्यार्थी और आम नागरिक मेट्रो में बड़ी संख्या में सफर करने लगे थे. लेकिन किराया वृद्धि के बाद गरीब लोग मेट्रो के बजाय अवैध छह सीटर ऑटो रिक्शा या साइकिल का सहारा ले रहे हैं.
विद्यार्थियों को दी थी छूट
मेट्रो ने पहले विद्यार्थियों को 30% छूट दी. इसके बाद सप्ताह के आखिरी दिन और फिर राजपत्रित अवकाश के दिन सभी यात्रियों को समान रियायत दी गई. लेकिन यात्री संख्या बढ़ने के बजाय कम होती गई. इससे घबराए अिधकारियों ने असिीमत यात्रा के लिए 100 रुपए प्रतिदिन के पास का ऑफर दिया.
शासन की अनुमति नहीं
विशेष बात यह है कि मेट्रो ने किराया बढ़ाने के पूर्व राज्य व केंद्र सरकार से अनुमित नहीं ली. आश्चर्यजनक है कि यात्री इतना अिधक किराया दे नहीं सकेंगे, यह पता होने पर भी स्थानीय मंत्री ने किराया वृद्धि वापस लेने को नहीं कहा. किराया कम न करने पर हर दिन दो लाख यात्री संख्या का लक्ष्य हासिल करना मुमकिन नहीं है.
दूसरे चरण के लिए निधि नहीं मेट्रो के रीयल इस्टेट की भी अिधक डिमांड नहीं है. इससे नियोजित राजस्व प्रत्यक्ष में नहीं मिलने की खबर एक पत्र समाचार ने पूर्व में प्रकाशित की थी. दूसरे चरण की शुरुआत के लिए राज्य व केंद्र से भी निध नहीं मिली है.