महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट (Repo Rate) में पिछले एक साल में भारी बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने लगातार छह बार रेपो रेट बढ़ाया है। पिछले साल अप्रैल में यह चार फीसदी था जो अब बढ़कर 6.5 फीसदी पहुंच गया है। इस कारण बैंकों ने भी ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी की है। इससे लोगों की किस्त काफी बढ़ गई है और उनका बजट बुरी तरह गड़बड़ा गया है। वे समय पर भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। देरी से किस्त के भुगतान पर कई बैंक जुर्माना वसूलते हैं। अमूमन बैंक लेट फीस के तौर पर EMI का एक से दो फीसदी पेनल्टी वसूलते हैं। लेकिन कर्जदारों को जल्दी ही इस जुर्माने से राहत मिल सकती है। आरबीआई का कहना है कि बैंकों को इस तरह के जुर्माने के बारे में अलग से पूरी डिटेल देनी होगी। किस्त भुगतान में देरी पर जो जुर्माना वसूला जाएगा, वह एकदम अलग होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लोन की किस्त में भुगतान में देरी पर लगाने वाली पेनल्टी पारदर्शी तरीके से वसूल की जाएगी। आरबीआई ने आठ फरवरी को मॉनीटरी पॉलिसी की बैठक के बाद कहा था कि इस बारे में जल्दी ही एक ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी की जाएगी। इस पर सभी स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रिया मांगी जाएगी। कोई भी जुर्माना पीनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं वसूला जाएगा। अभी लोन किस्त के भुगतान में देरी पर पीनल इंटरेस्ट के रूप में जुर्माना वसूला जाता है। अमूमन यह ईएमआई को एक से दो फीसदी होता है। सभी बैंकों में यह राशि अलग-अलग होती है। इसे लोन की मूल राशि में जोड़ दिया जाता है। इसलिए यह पता नहीं चल पाता है कि लोन की किस्त के भुगतान में देरी पर उनपर कितना जुर्माना लगा है।
जान लीजिए हर्जाना
जानकारों का कहना है कि पीनल इंटरेस्ट लोन के साइज और प्रकार पर निर्भर करता है। इसका कैलकुलेशन सालाना आधार पर किया जाता है। अगर आपका सालाना पीनल इंटरेस्ट 24 फीसदी और आप 25,000 रुपये की मासिक किस्त का भुगतान करने से चूक गए तो दो फीसदी के हिसाब से 500 रुपये प्रतिमाह होगा। अब बैंकों को अलग से जुर्माना तय करना होगा। किस्त के भुगतान में देरी से आपका सिबिल स्कोर भी प्रभावित होता है। बार-बार भुगतान में देरी से रिकवरी एजेंट्स भी परेशान करने लगते हैं।
60 दिन के बाद NPA घोषित
अमूमन बैंक कर्जदार को 60 दिन का नोटिस भेजता है। अगर कर्जदार इस दौरान पेमेंट नहीं करता है तो उस कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद बैंक कर्ज की वसूली के लिए रिकवरी एजेंट्स भेजते हैं। जानकारों का कहना है कि इस स्थिति से बचने के लिए अलर्ट रहने की जरूरत है। अगर आपको आर्थिक परेशानी है तो आप इस बारे में बैंक से संपर्क कर सकते हैं। बैंक आपको तीन से छह महीने की छूट दे सकते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आपको छह महीने की सैलरी के बराबर एमरजेंसी फंड रखना चाहिए।