मिलावट करने वाले तो किसी भी खाद्य-पदार्थ में मिलावट करने में समर्थ हैं। किन्तु, जिन मिठाइयों में कम संख्या में और कम मूल्य की सामग्री प्रयोग होती है, उनमें मिलावट नहीं की जाती है। इन मिठाइयों में अनेक दीपावली पर पारम्परिक रूप से भोग भी लगाई जाती रही हैं। इन मिठाइयों के साथ मेरे बचपन की स्मृतियाँ जुडी हुई हैं। आइए, ऐसी दस मिठाइयों से परिचित होते हैं।
1 मिश्री
मिश्री में मात्र एक सामग्री होती है, शक्कर। शक्कर के केलासों को बड़ा कर बनाई जाती है मिश्री। इसमें मिलावट करने के लिए कोई भी अन्य सस्ता पदार्थ है ही नहीं जो मीठा स्वाद भी दे सके; और मिश्री का आयतन भी बढा सके।
2 बताशा
बताशे भी शक्कर का ही बने होते हैं। मात्र अन्तर यही है कि बताशों के लिए विशेष विधि से चाशनी बना कर गाढ़ी चाशनी को बताशों के आकार में सुखाया जाता है। विवाह हो अथवा बच्चे का जन्म; बताशे सदा पारम्परिक बधाई में बँटते रहे हैं। लक्ष्मी पूजन में खील-बताशों का भोग चढाने की परम्परा रही है।
3 मीठे मखाने
खील के साथ यह मखाने मन्दिरों के प्रसाद में मिलते हैं। यह भी दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में रखे जाते रहे हैं। यह भी शक्कर पर आधारित मिठाई है। जिसमें मिलावट नहीं की जा सकती है।
4 खाँड की गुडिया
बंगाली मिट्टी की गुडिया का यह चित्र प्रतीकात्मक है। किन्तु, खाँड की गुडिया का आकार यही होता है। इन गुडियों में कोई रंग नहीं किया जाता था। मेरे गृह नगर भीलवाड़ा में बडे मन्दिर के पास अब भी कुछ हलवाई सम्भवतः इन्हें बनाते हों। यह गुडिया चाशनी को एक साँचे में जमाकर बनाई जाती है। इनके दीपकों में घी अथवा खाद्य तेल की बत्ती जलाई जा सकती है। इन्हे लक्ष्मी पूजन में रखा भी जाता था। फिर यह मिठाई हम बच्चों के खेलने-खाने के काम आती थी।
5 चिक्की
गुड़ और मूंगफली की चिक्की में भी कुछ अन्य मिलावट हो पाना कठिन है।
6 गुड़-तिल की तिल-पट्टी
मात्र गुड और तिल की बनी पट्टी (गजक) में कोई अन्य पदार्थ मिलाना असम्भव ही है। गुड़ की रेवडी भी इसी सामग्री से बनती है।
7 तिल के लड्डू
तिल के लड्डू भी इतने ही शुद्ध होते हैं।
8 शक्कर का चपड़ा
शक्कर में थोडी सी काली मिर्च डाल कर बना चपड़ा एकदम भूरे काँच सा लगता है। कुरकुरे मीठे चपडे को चबाना बचपन का प्रिय शौक था; और हल्की खाँसी-जुकाम में औषधि का भी काम देता रहा था।
9 गुड़ की पापड़ी / गुड़ गट्टा
गुड़ की पापड़ी बनाने के लिए थोडा सा खाने का सोडा डाल कर गुड़ को पिघलाकर कुरकुरा सेक लिया जाता है। इसमें मिठास के साथ कुछ-कुछ कॉफी सा कडुआपन बहुत अच्छा लगता था।
10 पेठा
बचपन से अबतक की पसन्द बना हुआ पेठा वस्तुतः शक्कर की चाशनी से संरक्षित पेठा (सफेद काशीफल) है; जिसे पहले चूने के पानी से परिशोधित कर फिर चाशनी में डालकर कुछ सुखाया जाता है। चाशनी में भींगा पेठा बहुत ही तृप्ति देने वाला मिष्ठान्न है।