प्रवासी कामगारों को लेकर भारत सरकार की नीतियां अति सुंदर ना होने की वजह से मौजूदा समय में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कई खाड़ी देशों से मुफ्त में टिकट मिलने के बावजूद भी भारतीय प्रवासी कामगार भारत वापस नहीं आना चाह रहे हैं.
मौजूदा स्थिति में जो प्रवासी कामगार सऊदी अरब से महामारी को देखते हुए वापस भारत आ चुके हैं उनकी स्थिति ना घर के ना घाट के जैसी स्थिति हुई है भारत वापस आ गए हैं लेकिन अब उनके पास ना ही काम है और ना ही एक बेहतर नीतियों के वजह से एक बेहतर जिंदगी.
विदेश मंत्रालय के तमाम कोशिशों के बावजूद भी भारत को सऊदी अरब में अभी भी यात्रा प्रतिबंधित सूची में डाल रखा है और सीधी यात्राएं भारत वासियों के लिए सऊदी अरब को संभव नहीं है हालांकि सऊदी अरब ने कई ऐसे देश को यात्राओं के लिए अनुमति दे रखा है जहां से यात्री सीधा सऊदी अरब में दाखिल हो सकते हैं.
कुछ वक्त पहले तक अन्य खाड़ी देशों के रास्ते से भारतीय प्रवासी सऊदी अरब में दाखिल हो रहे थे लेकिन बीच में एकाएक प्रोटोकॉल बदलने की वजह से इस पर भी रोक लग गया और कई हजार की संख्या में भारतीय प्रवासी संयुक्त अरब अमीरात कुवैत कतर बहरीन इत्यादि में फंस गए और वहां पर मदद की गुहार लगा रहे हैं.
सऊदी अरब जैसे देशों में जब भी भारतीय प्रवासी कामगारों की चर्चाएं की जाती हैं तो इसका स्पष्ट मतलब यह होता है कि इसमें बहुसंख्यक लोग ब्लू कलर धारी मजदूर वर्ग होते हैं जो लगभग अपना सब कुछ दांव पर लगा कर वीजा और इकामा हासिल करते हैं और फिर खाड़ी देशों में दाखिल होते हैं ताकि दांव पर लगे हुए चीजों को भी छुड़ाया जा सके और जीवन यापन भी चल सके ऐसे लोगों के साथ ज्यादा गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो चुकी हैं जो भारत से चलकर संयुक्त अरब अमीरात या अन्य देशों में फस चुके हैं और पीछे नहीं आ सकते क्योंकि उनका पीछे सब कुछ दांव पर लगा हुआ है और आगे यात्राएं प्रतिबंधित है.
हमारी टीम के द्वारा बात किए गए कुवैत स्थित एक समाजसेवी से यह जानकारी मिली कि भारतीय दूतावास पर एक समाज सेवी संघ भारतीय प्रवासियों को हर प्रकार की मदर और सुविधाएं देने के लिए तैयार हैं बशर्ते कुवैत आने के लिए भारतीय लोगों को अनुमति दें जाए.