भारतीय रेलयात्रियो के लिए आवश्यक जानकारी एवं सलाह
भारतीय रेलवे का एक ऐसा त्रुटि सामने आया है जिसकी जानकारी सभी भारतीय रेल यात्रियों को होना अत्यंत जरूरी है, यह मामला बिहार के रेल यात्री जितेंद्र प्रसाद जो की पटना के रहने वाले हैं उनके टिकट से संबंधित यात्रा से जुड़ा हुआ है, इन्होंने रेलवे से 1120 रुपए जुर्माना के बदले लगभग 7000 रुपए की वसूली कर ली, आईए जानते हैं क्या है पूरी घटना
वैध आरक्षित टिकट होने के बावजूद देना पड़ा जुर्माना
बिहार के रहने वाले जितेंद्र प्रसाद ने तमिलनाडु के त्रिचिरापल्ली से बेंगलुरु जाने के लिए समस्त परिवार आरक्षित टिकट बनवाया था, लेकिन यात्रा के दौरान टीटी ने उनसे 1120 रुपए का जुर्माना वसूल लिया, जबकि उनके पास पहले से ही टिकट उपलब्ध था। टीटी का कहना था कि उनका पीएनआर नंबर चार्ट में नहीं दिख रहा है ऐसी स्थिति में आपको जुर्माना देना होगा। उसे वक्त जितेंद्र अपने समस्त परिवार के साथ थे।
जितेंद्र ने लगाया ₹70000 के हर्जाना का दावा
जुर्माना देने के बाद जितेंद्र प्रसाद ने बेंगलुरु पहुंचने के बाद जिला उपभोक्ता आयोग में इस घटना की शिकायत की, जिस पर कार्रवाई करते हुए आयोग ने यह पाया कि यह रेलवे की त्रुटि है एवं इसके लिए रेलवे जिम्मेदार है, जितेंद्र ने आयोग में दिए आवेदन में अपने टिकट के लिए दिए गए जमाने की राशि का 18% ब्याज एवं ₹70000 हर्जाना का दावा ठोका।
ज़िला उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फ़ैसला
मामले की तहकीकात करते हुए आयोग ने पाया कि कंप्यूटर की तकनीकी खराबी अथवा लिंक फेल हो जाने से आरक्षण चार्ट पूरा नहीं बन पाया जिसकी वजह से जितेंद्र प्रसाद का नाम आरक्षण चार्ट में नहीं दिख रहा था। जिला उपभोक्ता आयोग में फैसला सुनाते हुए कहा कि जितेंद्र प्रसाद को 6% ब्याज के साथ टिकट के 1120 रुपए एवं हर्जाना के तौर पर हुए न्यायिक खर्च के लिए अलग से ₹5000 जितेंद्र को दिए जाएंगे।
रेलवे की ओर से आया जवाब
आयोग ने रेलवे को आदेश देते हुए कहा कि 2 महीने के भीतर इस आदेश का पालन किया जाए। रेलवे ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा है कि लिंक फेल हो जाने की वजह से आरक्षण चार्ट अधूरा रह गया जिसके वजह से जितेंद्र का टिकट चार्ट में नहीं प्रिंट हो सका।