हाल ही में Quant Mutual Fund ने अपने पूरे HDFC Bank के स्टेक को बेच कर सुर्खियाँ बटोरी। फंड हाउस ने 1.73 करोड़ से ज्यादा शेयर्स बेचे, जिसकी वैल्यू लगभग ₹2,800 करोड़ आंकी गई है। IDBI Capital द्वारा जारी डाटा के अनुसार, यह कदम काफी महत्वपूर्ण है और इसके पीछे के कारण और संभावना को समझना आवश्यक है। यह फैसला फंड हाउस के पोर्टफोलियो चर्निंग में एक बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है।
Exit के कारण
HDFC Bank से Quant Mutual Fund का यह सबसे बड़ा वैल्यू-आधारित éxit है। इसका मुख्य कारण है बैंक के लगातार खराब प्रदर्शन करना। उम्मीद थी कि MSCI इंडेक्स में बैंक का वज़न बढ़ने से ग्लोबल पैसिव फंड्स आकर्षित होंगे, लेकिन MSCI की फेज्ड एडजस्टमेंट ने इन उम्मीदों को धुंधला कर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि बैंक के स्टॉक में रिकवरी होने की उम्मीद थी, जो कि MSCI के एडजस्टमेंट के बाद भी पूर्णतः नहीं हो पाई।
पोर्टफोलियो चर्निंग का महत्त्व
Valtrust के CIO और फाउंडर ने समझाया कि बार-बार पोर्टफोलियो चर्निंग को हानिकारक माना जा सकता है, पर अगर इसे सक्रिय रूप से मैनेज किया जाए तो यह फंड को बेंचमार्क इंडेक्स की नकल करने से बचा सकता है।
HDFC Bank के केस में, स्टॉक के खराब प्रदर्शन ने इस exit को प्रेरित किया। Flexicap और Small-cap फंड्स में उच्च टर्नओवर रेशियो सामान्य है, क्योंकि इनमें स्टॉक पिकिंग के अधिक अवसर होते हैं। लेकिन Large-cap फंड्स में उच्च टर्नओवर दुर्लभ है और इसे रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है ताकि underperformance से बचा जा सके और diminishing returns से निपटा जा सके।
चर्निंग की रणनीति
Upwisery Private Wealth के पार्टनर और को-फाउंडर ने बताया कि उच्च चर्न रेशियो टैक्टिकल स्ट्रेटेजी को दर्शाता है। जहां इससे रिस्क बढ़ सकता है, वहीं यह छोटी अवधि के अवसरों को भुना सकता है।
इन रणनीतियों का प्रभावी परिणामों को आंकलित करना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की रणनीतियाँ विशिष्ट उद्देश्य प्राप्त करने या alpha हासिल करने के लिए आवश्यक होती हैं। हालांकि टैक्टिकल मूव्स से जोखिम जुड़ा होता है, परन्तु यह फंड के खर्चों को नियामकीय सीमाओं से आगे नहीं बढ़ाता। स्पष्ट रणनीति के साथ किया गया पोर्टफोलियो चर्निंग सकारात्मक हो सकता है, बजाय इसे अस्थिरता का संकेत मानने के।
खबर शोर्ट में
- हाल ही में Quant Mutual Fund ने HDFC बैंक में अपनी सारी हिस्सेदारी बेचकर सुर्खियां बटोरीं। फंड हाउस ने 1.73 करोड़ से ज्यादा शेयर्स बेचे, जिनकी कीमत करीब ₹2,800 करोड़ आंकी गई है।
- इस बड़े कदम ने सभी को हैरान कर दिया और इसके पीछे की वजहों और इससे मिलने वाले संभावित परिणामों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।
- इस एक्सिट की मुख्य वजहों में HDFC बैंक का लंबे समय से प्रदर्शन में कमी होना माना जा रहा है। उम्मीद थी कि MSCI इंडेक्स में इसका वजन बढ़ने से ग्लोबल पैसिव फंड आकर्षित होंगे, लेकिन MSCI के फेज्ड एडजस्टमेंट से ऐसा नहीं हो पाया।
- Valtrust के CIO और फाउंडर, अरिहंत बर्दिया ने बताया कि फ्रीक्वेंट चर्निंग को नुकसानदायक माना जाता है, लेकिन सक्रिय प्रबंधन से ये फंड को बेंचमार्क इंडेक्स की सिर्फ नकल करने से रोक सकती है।
- बर्दिया के मुताबिक, फ्लेक्सिकैप और स्मॉल-कैप फंड्स में ज्यादा टर्नओवर रेशियो जायज है, क्योंकि वहाँ स्टॉक पिकिंग के मौके ज्यादा होते हैं। जबकि बड़े फंड्स में ये कम ही होता है, लेकिन स्ट्रेटेजिक हो सकता है।
- Upwisery Private Wealth के पार्टनर और को-फाउंडर, गिरीश लाथकर ने कहा कि हाई चर्न रेशियो फंड मैनेजर की टैक्टिकल स्ट्रेटेजी को दर्शाता है। यह जोखिम बढ़ा सकता है, लेकिन शॉर्ट-टर्म मौकों का फायदा भी पहुंचा सकता है।