यात्री संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से नई दिल्ली से अपने गृहनगर पटना जा रहा था। यात्री ने रात के खाने के लिए आईआरसीटीसी की पेंट्री से नॉन-वेज थाली मंगवाई। फिर जो भोजन मिला वह स्वादिष्ट था। यात्री ने भोजन का पूरा आनंद लिया।
लेकिन जब पेंट्री वाला पैसा लेने आया तो उसने मुझसे खाने 150 रुपये मांगे। मुझे पहले से ही पता था कि नॉन-वेज थाली की कीमत 130 रुपये है, 150 नहीं।
मैंने विनम्रता से बिल मांगा। उसने शुरू में यह दावा करते हुए मना कर दिया कि मशीन बिलों की छपाई नहीं कर रही है। मैंने जोर देकर कहा कि बिल मिलने पर ही भुगतान करूंगा, नहीं तो पेंट्री मैनेजर से बात करूंगा।
वह वापस चला गया। न तो वह और न ही पेंट्री मैनेजर वापस आया। इसलिए मैंने फ्री में खाना खाया।
वे लौटे नहीं क्योंकि बिल देखकर अन्य सभी यात्री 20 रुपये और देने से इनकार कर देते। पेंट्री वाले घोटाले को चालू रखना चाहते थे, इसलिए वे बिल लेकर नहीं आए।
आप सभी को पता होना चाहिए कि 2020 में पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय रेलवे ने “नो बिल, नो पेमेंट” की कड़ी नीति अपनाई थी। अगर कोई विक्रेता हमें रेलवे स्टेशन या ट्रेन में बिल देने से मना करता है, तो हम उसे पैसे देने से इंकार कर सकते हैं।