भारतीय रेलवे की नींव भले ही अंग्रेजों ने डाली हो, लेकिन इसे एक समृद्ध विरासत में बदलने का काम भारतीयों ने किया है। भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है, क्योंकि यह यातायात का सबसे प्रमुख साधन है। हर दिन करीब 13 हजार ट्रेनें चलती हैं, जिससे करोड़ों यात्री अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं।
भारतीय रेलवे के कुछ अहम आंकड़े
भारतीय रेलवे का नेटवर्क 68 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा फैला हुआ है और इसमें 8 हजार से अधिक रेलवे स्टेशन हैं। इसके अलावा, 300 रेलवे यार्ड, 2300 माल ढुलाई के स्टेशन और 700 मरम्मत केंद्र भी हैं। भारतीय रेलवे के पास 12 हजार से अधिक लोकोमोटिव, 74 हजार से अधिक यात्री कोच और दो लाख से अधिक माल ढोने वाले वैगन हैं।
भारतीय रेलवे की जोनल व्यवस्था
भारतीय रेलवे को 18 जोनों में बांटा गया है, जिसमें उत्तरी जोन का मुख्यालय दिल्ली में, दक्षिणी जोन का मुख्यालय चेन्नई में, पूर्वी जोन का कोलकाता में और पश्चिमी जोन का मुख्यालय मुंबई में है।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज
भारत में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भी मौजूद है, जहां हाल ही में ट्रेन का सफल ट्रायल किया गया था। यह ब्रिज आने वाले समय में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनने जा रहा है, जहां यात्री सेल्फी लेकर इस अद्भुत अनुभव को संजो सकते हैं।
भारतीय रेलवे का इतिहास
भारत में पहली बार ट्रेन का संचालन 1832 में प्रस्तावित हुआ था, और 1837 में मद्रास की लाल पहाड़ियों में पत्थरों के लिए ट्रेन चलाई गई थी। 1853 में मुंबई से ठाणे के बीच पहली यात्री ट्रेन चली थी।
रेलवे टिकट खो जाने पर क्या करें?
अगर ट्रेन में सफर के दौरान आपका टिकट खो जाए या फट जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आपको ट्रेन के टीटीई को सूचित करना होगा, जो आपको एक डुप्लीकेट टिकट जारी करेगा। इसके लिए आपको स्लीपर और सेकेंड क्लास में 50 रुपये का शुल्क देना होगा, जबकि अन्य श्रेणियों में 100 रुपये का।
अगर टिकट फट जाता है, तो आप अपने यात्रा किराये का 25% भुगतान करके डुप्लीकेट टिकट पा सकते हैं। ध्यान रखें, वेटिंग टिकट के लिए डुप्लीकेट टिकट नहीं बनता।
खोया टिकट मिलने पर क्या करें?
अगर आपने डुप्लीकेट टिकट बनवा लिया और बाद में आपका ओरिजिनल टिकट मिल गया, तो आप ट्रेन छूटने से पहले रेलवे काउंटर पर जाकर डुप्लीकेट टिकट वापस कर सकते हैं और अपना पैसा वापस पा सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी।