भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी रोकने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। 1 जनवरी से तीन प्रकार के बैंक खाते बंद कर दिए जाएंगे। ये बदलाव लाखों खाताधारकों को प्रभावित करेंगे।
नए नियम क्यों लागू किए गए?
आरबीआई ने ये कदम निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए उठाया है:
- धोखाधड़ी में कमी: निष्क्रिय और जोखिम वाले खातों को बंद करके सुरक्षा बढ़ाना।
- पारदर्शिता बढ़ाना: बैंकिंग सेक्टर में अधिक पारदर्शिता लाना।
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा: डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना।
खाताधारकों के लिए इन बदलावों को समझना और समय रहते कार्रवाई करना जरूरी है।
बंद किए जाएंगे ये खाते
- निष्क्रिय खाते:
- ऐसे खाते जिनमें 12 महीने या उससे अधिक समय तक कोई गतिविधि नहीं हुई है।
- यह कदम धोखाधड़ी रोकने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
- डोरमेंट खाते:
- ऐसे खाते जिनमें दो लगातार वर्षों तक कोई लेन-देन नहीं हुआ है।
- इन्हें भी बंद कर दिया जाएगा।
- शून्य बैलेंस वाले खाते:
- ऐसे खाते जिनमें लंबे समय से राशि शून्य है।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
अपने खाते को बंद होने से बचाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं:
- केवाईसी अपडेट करें:
- बैंक में अपनी Know Your Customer (KYC) प्रक्रिया पूरी करें।
- लेन-देन करते रहें:
- खाते को सक्रिय बनाए रखने के लिए नियमित लेन-देन करें।
- न्यूनतम राशि बनाए रखें:
- खाते में न्यूनतम राशि रखना सुनिश्चित करें।
तालिका: खातों को बंद करने के RBI नियम
खाते का प्रकार | बंद होने का कारण | क्या करें? |
---|---|---|
निष्क्रिय खाते | 12 महीने तक कोई गतिविधि नहीं | कोई भी लेन-देन करके खाता सक्रिय करें |
डोरमेंट खाते | 2 साल तक कोई लेन-देन नहीं | नियमित रूप से लेन-देन करें |
शून्य बैलेंस खाते | लंबे समय से खाता शून्य बैलेंस पर है | खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखें |
आरबीआई के ये बदलाव बैंकिंग सिस्टम को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए किए गए हैं। खाताधारकों से अनुरोध है कि वे समय पर कार्रवाई करें और इन नए नियमों का पालन करें।