अगर बैंकों में आपने अब तक फिक्स डिपाजिट नहीं किया है तो जल्द से जल्द अपना फिक्स्ड डिपॉजिट का कार्य पूरा कर ले । बैंकों में अभी मौजूदा समय में सबसे बेहतर फिक्स डिपाजिट दर मुहैया कराए जा रहे हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा महंगाई पर काबू करने के लिए कई बार रेपो रेट बढ़ाए गए और उसका असर ब्याज दरों पर सीधे तौर से पड़ा.

 

कंट्रोल में आई महंगाई.

महंगाई के डाटा की बात करें तो अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं । 4.7% के आंकड़े के साथ 18 महीने के निचले स्तर पर है वहीं मार्च में या आंकड़ा 5.66 फ़ीसदी था. अप्रैल महीने में पिछले साल यह आंकड़ा 7.79% था जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए बड़ा चिंता का विषय था.

 

हो सकता है नहीं बड़े अब और ब्याज दर.

महंगाई को काबू में रखने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में अपने रेट में बदलाव करता है. अब जब महंगाई के डाटा 5% के भीतर आ रहे हैं तब ऐसे अंदेशा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपने अगले नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव को लेकर बढ़ोतरी के फैसले को रोक ले.

 

अगर घट गया रेपो रेट तो?

अगर घटते व महंगाई दर को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रेपो रेट को घटाता है तो इसका सीधा असर निवेशक के तौर पर फिक्स डिपाजिट में पैसा रखने वाले लोगों को घटे हुए ब्याज के रूप में मिलेगा.

वही बैंक से लोन लेने वाले ग्राहकों को घटे हुए ब्याज दरों पर लोन देना होगा. हालांकि रेपो रेट घटने से देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं और इकोनामिक डेवलपमेंट का रास्ता आगे निकलता है.

मौजूदा समय में स्मॉल फाइनेंस बैंक 9 प्रतिशत तक का ब्याज दे रहे हैं बड़े प्राइवेट बैंक सरकारी बैंक 7.5 का ब्याज रहे हैं.

बिहार से हूँ। बिहार होने पर गर्व हैं। फर्जी ख़बरों की क्लास लगाता हूँ। प्रवासियों को दोस्त हूँ। भारत मेरा सबकुछ हैं। Instagram पर @nyabihar तथा lov@gulfhindi.com पर संपर्क कर सकते हैं।

Leave a comment

अपना कमेंट दीजिए.