आजकल निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि ये बैंकों के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे लेकर चेतावनी दी है और बैंकों को सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है। अगर समय पर उपाय नहीं किए गए, तो ये समस्या न सिर्फ बैंकों को डुबा सकती है, बल्कि ग्राहकों के लिए भी बड़ा जोखिम बन सकती है।
क्या है समस्या?
निजी बैंकों में कर्मचारी अपनी नौकरी छोड़कर दूसरी कंपनियों में जाने लगे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में नौकरी छोड़ने की दर 25% तक पहुंच गई है।
- इससे बैंकों में काम का बोझ बढ़ रहा है।
- ग्राहकों को सेवा मिलने में देरी हो रही है।
- बैंकों को नए लोगों को ट्रेनिंग देने में ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
- अनुभवी कर्मचारियों की कमी के कारण बैंक संचालन में दिक्कतें आ रही हैं।
RBI ने क्यों दी सख्त चेतावनी?
RBI ने निजी बैंकों से साफ कहा है कि अगर कर्मचारी जुड़ाव को बेहतर बनाने के उपाय नहीं किए गए, तो इससे:
- बैंक के कामकाज में बड़ी रुकावट आ सकती है।
- ग्राहक सेवाओं में गिरावट होगी।
- ग्राहकों का भरोसा टूट सकता है, जिससे बैंक को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
निजी बैंकों में क्या बदलने वाला है?
RBI ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने कर्मचारियों को लंबे समय तक रोकने के लिए सरकारी बैंकों जैसी सैलरी, भत्ते और माहौल दें।
- कर्मचारियों को अच्छी सैलरी देनी होगी।
- वर्कप्लेस का माहौल बेहतर बनाना होगा।
- कर्मचारियों के लिए करियर ग्रोथ के मौके बढ़ाने होंगे।
- लचीले कामकाज के विकल्प देने होंगे।
- कर्मचारियों को स्पेशल ट्रेनिंग देकर उनके कौशल को बढ़ावा देना होगा।
नहीं उठाए कदम, तो डूब सकते हैं निजी बैंक
अगर निजी बैंक इन बदलावों को लागू नहीं करते, तो वे:
- प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाएंगे।
- ग्राहकों का भरोसा खो सकते हैं।
- लंबे समय में उनका आस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
ग्राहकों पर क्या होगा असर?
निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने का सीधा असर ग्राहकों पर भी पड़ता है।
- बैंकिंग सेवाओं में देर और खराबी आएगी।
- ग्राहकों को बेहतर सेवा के लिए सरकारी बैंकों की ओर रुख करना पड़ेगा।
- लंबे समय में ग्राहक बैंकिंग से जुड़े जोखिमों का सामना करेंगे।