अगर आप अपनी संपत्ति बच्चों या नातेदारों के नाम करने जा रहे हैं तो यह शर्त जरूर जोड़ दें कि उन्हें जीवन पर्यंत आपकी देखभाल करना होगी। खाने-पीने का इंतजाम करना होगा।
केवल अंतिम वसीयत होगी मान्य
अगर बच्चे या नातेदार इस शर्त का उल्लंघन करते हैं तो आपको अधिकार है कि एसडीएम कोर्ट में उनके खिलाफ प्रकरण दायर करें। शिकायत सही पाए जाने पर कोर्ट आपको आपकी संपत्ति वापस दिलवा सकती है। अपना बुढ़ापा सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी स्वयं की है। अपनी संपत्ति के संबंध में वसीयत जरूर करें। हर व्यक्ति को अधिकार है कि वह चाहे जितनी बार अपनी वसीयत बदले। अंतिम वसीयत ही मान्य की जाती है ।
निःशुल्क हैं ये सेवा
जहां तक हो वसीयत को रजिस्टर्ड कराएं और सभी को बताकर रखें कि आपने वसीयत की है। फायदा यह होगा कि मृत्यु के बाद आपके वारिसों में संपत्ति को लेकर विवाद नहीं होगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से बुजुर्गों और महिलाओं को निश्शुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। जिला न्यायालय में प्राधिकरण का कार्यालय है। किसी भी कार्यदिवस में संपर्क किया जा सकता है। यह बात जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव मनीष कुमार श्रीवास्तव ने कही।