सर्वांगासन योग के सबसे महत्वपूर्ण आसनों में से एक माना जाता है। इसके नाम का अर्थ ही है “सभी अंगों का आसन”, जो बताता है कि यह पूरे शरीर के लिए कितना लाभकारी है। आइए सर्वांगासन के फायदे, करने की विधि, और सावधानियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
सर्वांगासन करने के फायदे
- थायराइड ग्रंथि का नियमन: सर्वांगासन थायराइड ग्रंथि की कार्यक्षमता में सुधार करता है, जो हार्मोन विनियमन और चयापचय (मेटाबॉलिज्म) के लिए महत्वपूर्ण है।
- रक्त परिसंचरण में सुधार: इस आसन में उल्टी स्थिति में होने के कारण रक्त प्रवाह सिर की ओर होता है। इससे आपके मस्तिष्क, चेहरे और गर्दन की ओर रक्त संचार बढ़ता है।
- तनाव और चिंता से मुक्ति: सर्वांगासन में गले के क्षेत्र पर दबाव पड़ता है जो एक प्रकार से विश्राम जैसा असर देता है। इससे तनाव और चिंता दूर होती है।
- पाचन क्रिया में सुधार: सर्वांगासन से पेट के अंगों की मालिश होती है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार आता है।
- नींद में लाभकारी: थायराइड और बेहतर मस्तिष्क कार्यक्षमता, नींद की गुणवत्ता को बेहतर करने में भी सहायक है।
- पीठ व गर्दन की मजबूती: यह आसन आपके कंधों, गर्दन और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
सर्वांगासन करने की विधि
- पीठ के बल सीधे लेट जाएं।
- अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, कमर को सहारा दें, और अपने पैरों को सिर के पीछे की ओर ले जाएं।
- अपनी ठुड्डी को छाती से लगाने का प्रयास करें।
- अपनी कोहनियों को जमीन पर रखें और अपने हाथों से अपनी कमर को सहारा दें।
- कुछ देर तक इसी स्थिति में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।
सर्वांगासन करते समय सावधानियां
- यह आसन उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गर्दन में दर्द या किसी हालिया सर्जरी के बाद नहीं किया जाना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को इस आसन से बचना चाहिए।
- यदि आप एक शुरुआत कर रहे हैं, तो एक योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही इस आसन का अभ्यास करें।
सर्वांगासन आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एक अत्यंत फायदेमंद योगासन है। हालांकि, यदि आप किसी भी चिकित्सा स्थिति से पीड़ित हैं, तो इसे करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। नियमित अभ्यास और सही तकनीक से आप इस आसन का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।