भारतीय हज कमेटी ने 2020 हज के लिए पूरा रिफंड लौटाने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही हजारों मुस्लिम जायरीनों का हज करने का सपना टूट गया है। महाराष्ट्र से लगभग 10,500 मुस्लिमों का चयन किया गया था, जिन्हें हज के लिए जाना था। बता दें कि 222 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत की ओर से कोई भी जायरीन हज यात्रा के लिए नहीं जा पाएगा। हालांकि, सऊदी अरब सरकार की ओर से आगामी हज याात्रा को लेकर कोई सफाई नहीं दिए जाने और इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे कई देशों द्वारा स्वेच्छा से अपनी योजनाओं को रद्द कर देने से इस वर्ष स्थिति संभावित हाजियों के लिए धूमिल दिखाई देती है।
मार्च के बाद सऊदी अरब से कोई अपडेट नहीं मिला
महाराष्ट्र राज्य हज समिति के अध्यक्ष जामिया सिद्दीकी ने आईएएनएस एजेंसी को बताया कि 13 मार्च को भारत में लॉकडाउन लगाए जाने से पहले, सऊदी अरब सरकार ने हज 2020 की तैयारियों को अस्थायी रूप से रोकने के लिए हमें सूचित किया था और उसके बाद इस बारे में कोई सूचना नहीं है। यह हज यात्रा नहीं होने को स्पष्ट कर देता है। सिद्दीकी ने कहा कि जायरीनों को पूरा रिफंड देने के सऊदी हज कमेटी के फैसले और सऊदी अरब से आगे कोई निर्देश नहीं आने के कारण, उन्हें लगता है कि हज 2020 मुसलमानों के लिए महज एक इच्छा भर बनकर रह सकता है, लेकिन किसी को भी इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
कोविड-19 महामारी की वजह से रद्द की यात्रा
सिद्दीकी ने कहा कि यह कोविड-19 महामारी की वजह से है, लेकिन हमें लगता है कि जायरीनों को नुकसान नहीं उठाना चाहिए। हमने केंद्र को पत्र लिखकर मांग की है कि चयनित लोगों को अगले साल जाने की अनुमति दी जाए। अगर केंद्र रिफंड दे रहा है, तो यह पर्याप्त मुआवजे के साथ होना चाहिए। उन्होंने यह जानना चाहा कि सऊदी अरब सरकार की ओर से 13 मार्च को भेजी गई सूचना के बाद जब हज 2020 पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया था, फिर भी हज समिति ने शुल्क संग्रह जारी क्यों रखा।
इस साल दो लाख जायरीन जाने वाले थे हज
इस साल, भारत से अनुमानित 2 लाख मुस्लिम हज करने की योजना बना रहे थे, जिसमें हज समितियों के माध्यम से 1 लाख 25 हजार से अधिक और बाकी लगभग 47 हजार निजी हज टूर ऑपरेटरों के माध्यम से यात्रा करने की योजना बना रहे थे। इंडियन हज और उमरा टूर ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सैयद एआर मिल्ली ने कहा कि मुआवजे की मांग अनुचित है, लेकिन उन्होंने 2021 के हज सीजन के लिए इस साल के जायरीनों की सूची को आगे बढ़ाने की मांग का समर्थन किया।
इस साल चुने गए लोगों को अगले साल मिले मौका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीम खान ने इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए कहा कि लोग वर्षों से आवेदन करते हैं, इसलिए इस वर्ष 2020 के लिए चुने गए लोगों को मुश्किल से मिलने वाले इस अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और सरकार को उन्हें 2021 में हज पर भेजने के लिए विचार करना चाहिए। हज समितियों के माध्यम से जाने वाले जायरीन 201,000 रुपये का भुगतान करते हैं। ग्रीन श्रेणी के लोग 2.90 लाख रुपये का भुगतान करते हैं।
इससे पहले 1798 में हज रद्द किया गया था
कोरोना के चलते दुनियाभर के धार्मिक स्थलों को बंद किया गया है। इसका असर सऊदी अरब में मक्का-मदीना पर भी दिख सकता है। इससे पहले हज यात्रा 1798 में रद्द की गई थी। सऊदी सरकार ने 27 फरवरी को उमरा पर भी बैन लगा दिया था। उमरा हज की तरह ही होता है, लेकिन निश्चित इस्लामी महीने में मक्का और मदीना की यात्रा को हज कहा जाता है।
हज यात्रा रद्द हुई तो सऊदी अरब को दोहरा नुकसान
पिछले साल करीब 20 लाख लोग हज के लिए पहुंचे थे। सऊदी अरब को हज यात्रा से करीब 92 हजार करोड़ रुपए (12 अरब डॉलर) की इनकम होती है। अगर यात्रा रद्द होती है, तो सऊदी अरब की इकोनॉमी के लिए मुश्किल और बढ़ जाएगी, क्योंकि महामारी की वजह से तेल की कीमतें पहले ही काफी गिर चुकी हैं।
कैंसिलेशन के लिए क्या करें?
हज कमेटी की वेबसाइट से कैंसिलेशन फॉर्म डाउनलोड करें। फॉर्म भरकर ceo.hajcommittee@nic.in पर भेजना होगा।
रिफंड कैसे मिलेगा?
सीधे खाते में पैसे आएंगे। कैंसिलेशन फॉर्म के साथ बैंक पासबुक की कॉपी या कैंसिल चेक भी अटैच करना पड़ेगा।
Input: भास्कर दैनिक समाचार पत्र, भारत, विदेश विशेषGulfHindi.com