सऊदी अरब, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में, मध्य-पूर्व की एक शक्तिशाली ताकत के रूप में उभर रहा है। हालांकि, इसके साथ ही मानवाधिकारों के मुद्दों पर दुनियाभर से आलोचनाएं भी सामने आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में सऊदी अरब के मानवाधिकार रिकॉर्ड की समीक्षा की गई, जिसमें महिलाओं की स्वतंत्रता, नागरिकों को मौत की सजा देने, और यमन सीमा पर कथित प्रवासियों की हत्या जैसे मुद्दे उठाए गए।

सुधारों की दिशा में कदम

नवंबर 2018 के बाद से पहली बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में औपचारिक समीक्षा में सऊदी प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उन्होंने महिलाओं के लिए 50 से अधिक सुधार किए हैं। इसमें कोड़े मारने की सजा को खत्म करना, नाबालिगों को फांसी न देना, जजों की स्वतंत्रता, और प्रवासी श्रमिकों को बेहतर कानूनी सुरक्षा प्रदान करना शामिल है।

आलोचना और सिफारिशें

जर्मनी ने महिला अधिकारों में सुधार की सराहना की, लेकिन साथ ही सऊदी अरब में अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर “गंभीर प्रतिबंध” की ओर इशारा किया। अमेरिका ने यमन से लगी सीमा पर प्रवासियों की हत्या के मुद्दे को उठाया और सऊदी से इन आरोपों की व्यापक और पारदर्शी जांच करने का आग्रह किया।

समर्थन और विरोध

जहां कई देश सऊदी अरब की आलोचना कर रहे थे, वहीं कुछ देशों जैसे कि मोरक्को, बहरीन और कतर ने सऊदी के मानवाधिकार में सुधार की प्रशंसा की। इस दौरान, घरेलू कामगारों की सुरक्षा, लिंग आधारित हिंसा, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की गईं।

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