आजकल के युग में, बैंक खाता ना सिर्फ आम आदमी के जीवन का हिस्सा बन गया है, बल्कि आवश्यकता भी बन गया है। चाहे वह सैलरी प्राप्त करने का स्रोत हो या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना, बैंक खाता हमें अनेक सुविधाएं प्रदान करता है।
बचत खाता: देश का सबसे लोकप्रिय विकल्प
भारत में अधिकांश लोग अपने नकदी लेन-देन के लिए बचत खाते का प्रयोग करते हैं। वास्तव में, बचत खाते में रखने की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन आपको खाते में जमा किए गए पैसे की जानकारी कर विभाग को देनी होती है।
कर नियम और बचत खाता
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के नियमों के अनुसार, वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक राशि की सूचना बैंक को देनी अनिवार्य है। यह नियम फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), म्यूचुअल फंड, बॉन्ड और शेयरों में किए गए निवेश पर भी लागू होता है।
वित्तीय वर्ष में बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज पर भी कर लगता है। इनकम टैक्स एक्ट के तहत, व्यक्तिगत खाताधारकों को वर्ष में बचत खाते पर 10,000 रुपये तक के ब्याज पर कोई कर नहीं देना पड़ता है। यदि ब्याज इससे अधिक होता है, तो कर देना होता है। सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है।
इसके अतिरिक्त, बचत खाते से प्राप्त ब्याज को आपकी अन्य आय से जोड़ा जाता है और उस पर कर लगता है।
बचत खाते पर ब्याज दर
भारत के प्रमुख सरकारी और निजी बैंक बचत खाते पर 2.70% से 4% का ब्याज देते हैं। 10 करोड़ रुपये तक के बैलेंस वाले सेविंग अकाउंट पर ब्याज दर 2.70% है और 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पर यह दर 3% है। कुछ छोटे वित्तीय बैंक बचत खाते पर शर्तों के साथ 7% तक ब्याज देते हैं।