भारत का बेंचमार्क इंडेक्स Nifty50 इस महीने गिरावट दर्ज करता है तो यह 28 साल में पहली बार लगातार पांच महीने की गिरावट वाला रिकॉर्ड बना सकता है। ऐसा आखिरी बार 1996 में हुआ था, जब बाजार लगातार पांच महीने तक गिरा था।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली बनी सबसे बड़ी वजह
इस बार बाजार की कमजोरी का सबसे बड़ा कारण है विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की आक्रामक बिकवाली। अक्टूबर 2024 से अब तक वे ₹2 लाख करोड़ से ज्यादा के शेयर बेच चुके हैं। इसके पीछे भारतीय रुपये की कमजोरी और चीन के बाजार में तेजी मुख्य वजह मानी जा रही है।
इतिहास में सिर्फ दो बार हुई इतनी लंबी गिरावट
1990 के बाद से Nifty ने सिर्फ दो बार लगातार पांच या उससे अधिक महीनों की गिरावट देखी है:
- सितंबर 1994 – अप्रैल 1995: लगातार 8 महीनों तक गिरावट, कुल 31.4% नुकसान
- जुलाई – नवंबर 1996: लगातार 5 महीनों तक गिरावट, कुल 26% नुकसान
अक्टूबर 2024 से अब तक Nifty में 11.7% की गिरावट आ चुकी है, जो पिछली गिरावटों के मुकाबले अभी हल्की है।
तकनीकी विश्लेषण: Nifty 22,500 तक गिर सकता है?
- इस महीने Nifty 3% पहले ही गिर चुका है।
- तकनीकी विश्लेषकों के अनुसार, 22,500–22,400 तक गिरावट संभव है।
- 22,850 से ऊपर जाने तक बाजार में ‘Sell on Rise’ रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है।
LKP Securities के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रूपक डे का कहना है,
“मार्केट में लोअर टॉप-लोअर बॉटम पैटर्न बन रहा है, जो बिकवाली के दबाव को दिखाता है। जब तक Nifty 22,850 के ऊपर नहीं जाता, तब तक हर उछाल पर बिकवाली होती रहेगी।”
चीन फैक्टर: ‘Sell India, Buy China’ ट्रेंड क्यों बना?
- अमेरिका की व्यापार नीतियों और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है।
- चीन के शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल आया है।
- अक्टूबर 2024 से अब तक भारत का मार्केट कैप $1 ट्रिलियन घटा है, जबकि चीन का मार्केट कैप $2 ट्रिलियन बढ़ा है।
Hang Seng इंडेक्स पिछले एक महीने में 18.7% चढ़ा है, जबकि इसी दौरान Nifty में 1.55% की गिरावट आई है।
BofA Securities के अनुसार,
“चीन में निवेश की मांग बढ़ी है, जबकि भारतीय शेयरों का आकर्षण घट रहा है।”
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
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SBI Securities:
- गुणवत्तापूर्ण स्टॉक्स में धीरे-धीरे निवेश करें।
- छोटे कैप स्टॉक्स (₹100 करोड़ से कम प्रॉफिट वाले) से बचें।
- टैक्स हार्वेस्टिंग रणनीति अपनाएं।
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Sandip Sabharwal (अनुभवी निवेशक):
- FII प्रवाह जल्द ही पलटेगा, क्योंकि अमेरिकी बाजार में असंतुलन बहुत बढ़ चुका है।
- भारतीय बाजार में 18-20% FII आवंटन बना रहेगा।
- जिन स्टॉक्स के फंडामेंटल मजबूत हैं, वहां निवेश का अच्छा मौका है।
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Motilal Oswal Private Wealth:
- Nifty50 का 1-वर्षीय फॉरवर्ड P/E लॉन्ग-टर्म एवरेज से नीचे है (मतलब बड़ी कंपनियां सस्ती हो गई हैं)।
- 40% मिडकैप और 35% स्मॉलकैप स्टॉक्स का P/E 50 से ज्यादा है, यानी अभी भी महंगे हैं।