भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के एक नए प्रस्ताव को लेकर विश्व की बड़ी सैटकॉम कंपनियों के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं। TRAI ने हाल ही में दो अलग-अलग सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेवाओं के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली को एकीकृत करने का सुझाव दिया था। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं कि यह विवाद क्यों खड़ा हुआ और किन कंपनियों की क्या राय है।
क्या है विवाद?
TRAI का प्रस्ताव यह है कि GMPCS (Global Mobile Personal Communications by Satellite) और VSAT (Very Small Aperture Terminal) जैसी दो अलग-अलग सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेवाओं के लाइसेंस को एकीकृत कर दिया जाए। GMPCS वह सेवा है जिसके जरिए व्यक्तिगत संचार, जैसे कि वॉयस कॉल, टेक्स्ट मैसेजिंग और डेटा सेवाएं, सैटेलाइट से प्रदान की जाती हैं। वहीं, VSAT का उपयोग मुख्य रूप से मशीन-टू-मशीन (M2M) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कनेक्टिविटी, इन-फ्लाइट और समुद्री सेवाओं के लिए होता है।
किसकी क्या राय है? 🤔
- Starlink (Elon Musk की कंपनी) और SES (जो Reliance Jio के पार्टनर भी हैं) ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। इनका कहना है कि दोनों सेवाओं को अलग-अलग रखना चाहिए, क्योंकि दोनों की आवश्यकताएं और उपयोग अलग-अलग हैं। Starlink का मानना है कि GMPCS लाइसेंस का विस्तार करके इसे सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट कनेक्टिविटी के सभी प्रकारों के लिए उपयुक्त बनाया जा सकता है, जबकि VSAT को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए सीमित रखना चाहिए।
- Kuiper (Amazon की सैटेलाइट सेवा), Globalstar और Viasat ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनका कहना है कि एकीकृत लाइसेंसिंग से सेवाओं की परिभाषा को आधुनिक बनाया जा सकता है और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल किया जा सकता है। Kuiper ने यह भी सुझाव दिया है कि VSAT ऑपरेटरों को बिना अलग ISP लाइसेंस के इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
- OneWeb (Airtel समर्थित) और Tata Group की Nelco भी इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि दोनों सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम को मौजूदा तरीके से ही आवंटित किया जाना चाहिए, जैसा कि टेलीकॉम एक्ट में निर्धारित है।
क्या है इसका मतलब?
इस पूरे विवाद का मतलब यह है कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेवाओं में आगे बढ़ने के लिए हर कंपनी का अपना दृष्टिकोण है। कुछ कंपनियां लाइसेंसिंग को सरल और एकीकृत करना चाहती हैं, जबकि अन्य का मानना है कि इन सेवाओं को अलग-अलग रखना चाहिए ताकि वे अपनी विशिष्टताओं के अनुसार काम कर सकें।
क्यों है ये महत्वपूर्ण? 🌍
भारत में सैटेलाइट आधारित संचार सेवाओं का भविष्य काफी उज्ज्वल है, खासकर 4G और 5G के विस्तार के साथ। अगर लाइसेंसिंग को सरल बनाया जाता है, तो नई सेवाओं को लॉन्च करना आसान हो सकता है, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में भी बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जा सकेगी। दूसरी ओर, अगर सेवाओं को अलग-अलग रखा जाता है, तो उनकी गुणवत्ता और विशिष्टता को बरकरार रखा जा सकेगा।