विंड टर्बाइन निर्माता Suzlon Energy Ltd ने वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) के लिए 300 करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) की योजना बनाई है। कंपनी अपने 3.1 गीगावॉट (GW) की मौजूदा उत्पादन क्षमता को FY25 के अंत तक 4.5 GW तक बढ़ाने की तैयारी में है। CFO हिमांशु मोदी ने एक साक्षात्कार में बताया कि अधिकतर कैपेक्स राशि विंड टर्बाइन जनरेटर (WTG) के निर्माण में जाएगी ताकि उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके।
भारत में विंड एनर्जी की बढ़ती मांग
भारत अपने जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी पवन ऊर्जा क्षमता को 2028 तक 25 GW तक बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, जिसके लिए लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश आवश्यक होगा। इसी दिशा में Suzlon भी अपने कर्ज को कम करते हुए इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है। कंपनी न केवल अपने विंड टर्बाइनों की आपूर्ति कर रही है, बल्कि ऑपरेशनल और मेंटेनेंस (O&M) सेवाओं की भी पेशकश कर रही है। इसके लिए हाल ही में उसने Renom Energy Services का अधिग्रहण किया है।
कंपनी के ऑर्डर बुक और चुनौतियाँ
Suzlon का ऑर्डर बुक फिलहाल 5.1 GW पर है, जिसमें NTPC और जिंदल रिन्यूएबल्स उसके प्रमुख ग्राहक हैं। हालाँकि, समय पर प्रोजेक्ट पूरा करना और भूमि की उपलब्धता जैसी लॉजिस्टिक समस्याओं ने कंपनी की आय को प्रभावित किया है। CEO जयाराम प्रसाद चलासानी ने बताया कि उद्योग में सप्लाई और कमर्शियल ऑपरेशन डेट (COD) के बीच बड़ा अंतर है। पहले तिमाही में, 770 MW में से लगभग 600 MW की सप्लाई 2021 और 2022 में दी गई थी।
कंपनी की वित्तीय स्थिति
FY25 की दूसरी तिमाही में Suzlon का नेट प्रॉफिट 96 प्रतिशत की बढ़त के साथ 201 करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो उच्च डिलीवरी के कारण हुआ। नेट वॉल्यूम्स 256 MW तक बढ़ी, हालांकि पिछली तिमाही की तुलना में डिलीवरी 6.5 प्रतिशत घट गई।
मानव संसाधन की कमी की समस्या
Suzlon ने बताया कि कुशल मानव संसाधन की कमी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है। CEO चलासानी ने कहा कि कंपनी के विस्तार के साथ, कुशल मानव संसाधन को आकर्षित करना, प्रशिक्षण देना और उन्हें बनाए रखना जरूरी है।