प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर को अबू धाबी के युवराज शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में दोनों देशों ने समग्र रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया। इसके तहत पांच प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें परमाणु ऊर्जा, तेल, और व्यापारिक सहयोग शामिल हैं।
भारत और यूएई के बीच पांच प्रमुख समझौते:
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालन:
- बाराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन और रखरखाव के लिए एमिरेट्स न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) के बीच समझौता हुआ।
- एलएनजी की दीर्घकालिक आपूर्ति:
- अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच दीर्घकालिक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आपूर्ति के लिए समझौता।
- पेट्रोलियम रिजर्व:
- ADNOC और इंडिया स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) के बीच पेट्रोलियम भंडार को लेकर समझौता हुआ।
- फूड पार्क का विकास:
- गुजरात सरकार और अबू धाबी डवलपमेंट होल्डिंग कंपनी के बीच भारत में फूड पार्क के विकास को लेकर समझौता हुआ।
- अबू धाबी ऑन्शोर ब्लॉक-1:
- ऊर्जा उत्पादन के लिए अबू धाबी ऑन्शोर ब्लॉक-1 के उत्पादन रियायत को लेकर समझौता।
भारत के लिए क्यों अहम है यूएई?
- व्यापार: भारत और यूएई के बीच सालाना व्यापार 85 अरब डॉलर से अधिक का है। यूएई भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, खासकर निर्यात के मामले में।
- निवेश: यूएई, भारत में शीर्ष चार विदेशी निवेशकों में से एक है।
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध: यूएई में 100 से अधिक इंटरनेशनल स्कूल भारतीय सिलेबस (CBSE और केरल बोर्ड) को फॉलो करते हैं।
दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध:
भारत और यूएई के संबंध न केवल व्यापारिक हैं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी गहरे हैं। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की यूएई यात्रा के बाद से, दोनों देशों के बीच संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया गया। इसके बाद से दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया है।
ब्रिक्स और एससीओ में यूएई की भूमिका:
भारत के समर्थन से यूएई, ब्रिक्स (BRICS) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में सदस्य बना। इस बैठक से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे और व्यापार, ऊर्जा और सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद है।