कामगारों को किस तरह की पेनाल्टी दी जा सकती है

कामगारों पर लगाई जाने वाली पेनाल्टी के बारे में बात की जाएगी। कई ऐसी उत्पन्न हो जाती है जिसमें नियोक्ता को कामगारों के खिलाफ कड़े एक्शन लेने पड़ते हैं। कई मामलों में कामगार की सैलरी कटौती से लेकर उसकी छुट्टी कैंसिल करने तक की नौबत आ जाती है। लेकिन इसकी एक लिमिट तय होनी चाहिए ताकि कामगारों का शोषण ना हो सके और उन्हें गलती के अनुरूप ही सजा मिले। लेकिन नियोक्ता बिना नोटिस के पेनाल्टी नहीं लगा सकता है।

आर्टिकल 39 में दी गई है सारी जानकारी

बताते चलें कि नया लेबर लॉ के आर्टिकल 39 में इस बाबत जानकारी दी गई है। नियोक्ता कामगार को लिखित चेतावनी या लिखित नोटिस दे सकता है। नियोक्ता ज्यादा से ज्यादा 5 दिन की प्रति माह वेतन की कटौती कर सकता है, ज्यादा से ज्यादा 14 दिन के लिए काम से सस्पेंड कर सकता है और सस्पेंशन के दौरान वेतन की कटौती कर सकता है।

 

इसके अलावा अगर कंपनी बोनस देती है तो ज्यादा से ज्यादा 1 साल के बोनस में कटौती की जा सकती है। Promotion प्रक्रिया वाले संस्थानों में कामगार को अधिक से अधिक 2 साल के लिए प्रमोशन से वंचित किया जा सकता है।

 

लेकिन दंड के पहले कामगारों को देना होगा लिखित में नोटिस

हालांकि यह सारी दंड कामगार को लिखित नोटिस देने के बाद ही दिया जा सकता है। ऐसे मामलों में कामगार को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार होगा। बात ना बनने की अंतिम स्थिति में ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए। अगर कामगार काम से जुड़ा कोई गलती नहीं करता है और इसके बावजूद भी नियोक्ता उसे सजा देने चाहता है तो यह गलत है।

 

 

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