चाहे अब देश में रहे हैं या विदेश में भारतीय रुपए के गिरने की कीमत आपको चुकानी पड़ती है. अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के साथ ही भारतीय रुपए अब रोज प्रतिदिन एक नए रिकॉर्ड स्तर पर गिरते हुए जा रहा है. महज 1 साल में भारतीय रुपया ₹82 से ₹86 पर पहुंच चुका है.
देश के अंदर महंगा हो जाता है यह सारा सामान.
अगर आपको डॉलर से कोई मतलब नहीं है फिर भी देश के अंदर इसका प्रभाव आप रोक नहीं सकते हैं. डॉलर के मजबूत होने के साथ ही भारत में कई चीजों के दाम बढ़ जाते हैं जिसमें खासकर से वह चीज हैं जो विदेशों से इंपोर्ट की जाती हैं. आमतौर पर इसे आप इंपोर्टेड मोबाइल, लैपटॉप खाने के तेल इत्यादि से जोड़ सकते हैं.
इतना ही नहीं कई प्रकार के सब्सक्रिप्शन आज के समय में अमेरिकी डॉलर में लिए जा रहे हैं जिसके ऊपर सीधा असर आपकी हर महीने काटने वाले खर्चे में पड़ेगा.
विदेश में रहने वाले लोगों के लिए है शुभ समाचार.
हालांकि जो लोग विदेश में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं उनके लिए यह एक बढ़िया खबर है. डॉलर के मजबूत होने के साथ ही जब हर महीने वह पैसे अपने देश में भेजते हैं तो पहले पैसे के जगह पर ज्यादा पैसे भारतीय रुपए में मिलती है.
जैसे कि अगर आप अरब या अमेरिका इत्यादि जैसे देशों में रह रहे हैं तो पहले के मुकाबले अब रेमिटेंस में आपको बैंक ज्यादा पैसा आपके घर वालों को या आपके भारतीय अकाउंट में क्रेडिट करेगी. उदाहरण के तौर पर अगर आप $1000 1 साल पहले अपने खाते में भेजते हैं तो उसके लिए बैंक आपको 82000 देती है तो वहीं अब आपको 86000 देगी.
अब देश में भारी संख्या में भारतीय लोग हैं और इस डॉलर के बदलते हुए भाव के कारण लोगों को महज 1 साल में ₹22 के कीमत से 23.45 की कीमत तक में एक दिरहम में फर्क आया है. वही सऊदी रियाल की बात करें तो 1 साल में 21.5 रुपए से 23 रुपए तक का सफर तय हुआ है.
इन सब का फायदा सीधे तौर पर खाते में आ रहे भारतीय अकाउंट पर दिख रहे हैं और प्रवासी भारतीय लोगों के घरों को या उनके भारतीय अकाउंट को अब ज्यादा क्रेडिट मिल रहा है.