आज लगभग सभी लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं. मोबाइल बैंकिंग से लेकर इंटरनेट बैंकिंग ने हमारे काम को आसान बना दिया है. मिनटों में हम एक बैंक अकाउंट (Bank account)से दूसरे अकाउंट में पैसे भेज देते हैं.
मगर, क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को इतना आसान बनाने वाले अकॉउंट का किसी अकाउंट होल्डर मरने के बाद क्या होता है? क्या कोई इसका नाजायज फायदा उठा सकता है. या आपके अकाउंट में बचे पैसों का क्या होता है? अगर आपको नहीं पता कि मरने के बाद आपके अकाउंट का क्या होगा तो आइए जानते हैं कि इसे लेकर आरबीआई क्या कहता है?
आपको शायद याद होगा कि जब आपने अकाउंट खुलवाया होगा तो आपसे अकाउंट का नॉमिनी पूछा गया होगा. इसमें आप होने माता-पिता या पति का नाम बता सकते हैं. बैंक नॉमिनी इसलिए पूछता है ताकि अगर कोई दुर्घटना या किसी और वजह से अकॉउंट होल्डर की मौत हो जाए तो मृत व्यक्ति के अकाउंट पर पर नॉमिनी का हक होता है. साथ ही अगर नॉमिनी चाहे तो KYC डाक्यूमेंट्स देकर वो अकाउंट को बंद भी करा सकता है.
अगर किसी को नॉमिनी नहीं बनाया तो क्या होगा?
अगर अकाउंट ओपन करवाते वक्त आपने किसी को भी नॉमिनी नहीं बनाया है तो बैंक अकाउंट होल्डर के लीगल पेरेंट्स को अकाउंट का अधिकार मिल जाता है. मगर ऐसे में भी उसे सही डॉक्यूमेंट्स के जरिए खुद को अकाउंट होल्डर का लीगल पेरेंट्स या वारिस साबित करना होगा. इसके लिए उसे कोई प्रॉपर्टी या उसका रिश्तेदार होने का प्रूफ देना होता है. जिससे ये साबित होगा कि मरने वाले का पैसा उसके परिचित को मिल रहा है.
जॉइंट अकाउंट में क्या होता है?
अगर आपने जॉइंट अकाउंट खुलवाया है तो किसी एक अकाउंट होल्डर की मौत के बाद दूसरा अकाउंट होल्डर उस खाते का हकदार हो जाता है. ऐसे में वो आसानी से अकाउंट से लेन-देन कर सकता है. साथ ही उसे मरने वाले शख्स का नाम अकाउंट से हटाने के लिए उसका डेथ सर्टिफिकेट बैंक की ब्रांच में देना होगा. जिसके बाद बैंक उस शख्स का नाम अकाउंट से हटा देता है