पहले सारे प्रमुख ट्रेनों को महज अपग्रेड के नाम पर मेल से एक्सप्रेस में बदल दिया गया उसके बाद इन सब से ज्यादा किराया वसूला जाने लगा. फिर एक्सप्रेस से सुपरफास्ट में सारे जरूरी ट्रेनों को बदल दिया गया और फिर किराया बढ़ा दिया गया. प्रीमियम ट्रेनों को प्राइवेट ट्रेनों में बदल दिया गया और किराया आपके बजट से बाहर कर दिया गया.
यह सारी चीजें बढ़ने के बाद भी जो नहीं बढ़ा तो वह है आम लोगों के लिए सुखद यात्रा और सहूलियत भरा सफर. आज की घटना से रेलवे पर कुछ सवाल जरूर उठते हैं कि वह इतने प्रीमियम की राय लेकर भी लोगों को त्योहारों के दिनों में भी भेड़ बकरियों की तरह जाने पर मजबूर क्यों करते हैं.
रेल से फ़ेक यात्री को GRP ने
दीपावली छठ मनाने मुंबई-हावड़ा मेल से गिरिडीह जा रहे यात्री को महज 200 रुपये के लिए चलती ट्रेन से फेंककर उसकी जान लेने वाले राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के दोनों सिपाहियों को तीसरे दिन गिरफ्तार कर लिया गया 20 अक्टूबर की रात 9:20 बजे ऊंचडीह स्टेशन के पास दोनों ने युवक को चलती ट्रेन से फेंक दिया था। शनिवार सुबह छह बजे छिवकी जीआरपी आवास के पास गिरफ्तारी दिखाने के बाद आरोपित सिपाहियों को निलंबत कर जेल भेजा गया। दोनों के खिलाफ मारपीट, गैर इरादतन हत्या, एससी-एसटी, भ्रष्टाचार आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। प्रकरण की जांच सीओ सुनीता सिंह को सौंपी गई है।
TTE से रास्ते में भी बनवा सकते हैं टिकट
झारखंड में गिरिडीह जिले के 35 वर्षीय अरुण भुइया मुंबई में काम करते थे। वह घर जाने के लिए 19 अक्टूबर को मुंबई से निकले थे। हावड़ा-मुंबई मेल में वह बिना टिकट लिए जनरल कोच में चढ़ गए रास्ते में टीटीई से टिकट बनवाया। ट्रेन गुरुवार रात प्रयागराज के छिवकी स्टेशन से आगे बढ़ी थी कि छिवकी जीआरपी थाने के सिपाही कृष्ण कुमार सिंह व आलोक कुमार पांडेय जनरल कोच में टिकट चेकिंग के नाम पर वसूली करने लगे।
लोगों ने चेनपुलिंग कर बचाया
अरुण ने टीटीई का बनाया टिकट दिखाया, मगर सिपाहियों ने पांच सौ रुपये की मांग की। अरुण के दोस्त अर्जुन ने बातचीत कर 400 रुपये दे भी दिए, लेकिन सिपाही 200 रुपये और मांगने लगे। बहस बढ़ी तो दोनों सिपाही गाली देते हुए मारपीट करने लगे। अरुण दरवाजे के पास ही था। सिपाहियों ने उसे धक्का देकर ट्रेन से बाहर गिरा दिया। यात्रियों ने चेनपुलिंग कर ट्रेन रोकी तो दोनों सिपाही धमकी देते हुए भाग निकले।