पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण पर अभियंताओं का हल्ला बोल जारी है। अभियंता कह रहे हैं कि इससे उपभोक्ताओं और बिजलीकर्मियों का नुकसान होगा। मंगलवार को आगरा में बिजली पंचायत बुलाई गई है, जिसमें निजीकरण से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाएगा।
परिसंपत्तियों के गलत मूल्य पर हंगामा
अभियंताओं ने पॉवर कॉर्पोरेशन पर एलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 के उल्लंघन का आरोप लगाया।
- अरबों की परिसंपत्तियों का सिर्फ 1500 करोड़ रुपये का रिजर्व प्राइस रखा गया।
- बिजली निगम की जमीन 1 रुपये प्रति साल की लीज पर निजी कंपनियों को देने की बात हो रही है।
अभियंताओं ने मांग की है कि परिसंपत्तियों का सही मूल्यांकन और राजस्व क्षमता सार्वजनिक की जाए।
आरक्षण पर खतरा
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात कर कहा कि इस कदम से 16,000 आरक्षित पद खत्म हो जाएंगे। मंत्री से आरक्षण बचाने की अपील की गई।
जनसंपर्क महाअभियान
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने निजीकरण के खिलाफ प्रदेशभर में जनसंपर्क अभियान छेड़ रखा है।
- विधायकों और विपक्ष से इस मुद्दे पर समर्थन मांगा जा रहा है।
मिर्जापुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट पर घोटाले का आरोप
मिर्जापुर में 1600 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट को लेकर उपभोक्ता परिषद ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
मुख्य आरोप
- टरबाइन मशीन का पहले ही ऑर्डर
टेंडर 10 अक्टूबर 2024 को खुला, लेकिन जून 2024 में ही भेल को 7000 करोड़ का ऑर्डर दे दिया गया। - महंगी बिजली दर
यहां बनने वाली बिजली 6 रुपये प्रति यूनिट पड़ेगी, जबकि पावर एक्सचेंज से 4 रुपये में बिजली मिल रही है।
परिषद की मांग
उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। अभियंताओं और उपभोक्ताओं का कहना है कि निजीकरण से नुकसान ही नुकसान होगा। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।