देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भर्ती नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए NET (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य सूची से हटा दिया है। यह फैसला 6 जनवरी 2025 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा घोषित किया गया।
क्या हैं नए नियम?
अब असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए सिर्फ NET पास करना अनिवार्य नहीं रहेगा। जो उम्मीदवार M.E. (मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग) या M.Tech (मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी) में 55% अंकों के साथ पोस्ट ग्रेजुएट हैं, वे सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- लचीलापन: उम्मीदवार अब अपने विषयों के आधार पर शिक्षण पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, चाहे उनकी पिछली पढ़ाई किसी अन्य विषय में हुई हो।
- शिक्षा के स्तर पर विविधता: उदाहरण के लिए, यदि किसी उम्मीदवार के पास रसायन विज्ञान में पीएचडी, गणित में ग्रेजुएशन और भौतिकी में पोस्ट ग्रेजुएशन है, तो वह केमिस्ट्री पढ़ाने के लिए योग्य माना जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप बदलाव
यूजीसी अध्यक्ष मामिडाला जगदीश कुमार ने बताया कि इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लक्ष्यों को पूरा करना है। इस बदलाव के बाद विश्वविद्यालयों को अब योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति करने में अधिक लचीलापन मिलेगा।
उम्मीदवारों को मिलेगा फायदा
- उम्मीदवार अब अपनी विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ा सकेंगे।
- पीएचडी धारकों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
- अलग-अलग विषयों के उम्मीदवार अब अपने चुने हुए क्षेत्र में आवेदन कर सकते हैं।
- शिक्षकों की कमी को दूर करने में यह कदम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कुलपति बनने के मानकों में बदलाव
- पहले कुलपति बनने के लिए 10 साल का शैक्षणिक अनुभव आवश्यक था।
- अब उद्योग, प्रशासन और सार्वजनिक क्षेत्र में 10 साल के वरिष्ठ अनुभव वाले उम्मीदवार भी कुलपति बनने के लिए योग्य होंगे।
नए नियमों का असर
- शिक्षा क्षेत्र में योग्य उम्मीदवारों की भागीदारी बढ़ेगी।
- शिक्षण पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया तेज और सरल होगी।
- असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी दूर होगी।
- छात्रों को विविध विषयों में विशेषज्ञता रखने वाले शिक्षक मिलेंगे।
आगे क्या?
- नए नियमों को जल्द ही लागू किया जाएगा।
- उम्मीदवारों को अपनी योग्यता के आधार पर आवेदन करने के अधिक अवसर मिलेंगे।
- विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी पूरी करने में यह बदलाव अहम साबित होगा।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए दी गई है। उम्मीदवारों को संबंधित आधिकारिक नोटिफिकेशन का इंतजार करना चाहिए।