बाराबती स्टेडियम में भगदड़: भारत बनाम इंग्लैंड मैच की टिकट बिक्री में मचा हड़कंप
कटक के बाराबती स्टेडियम में क्रिकेट का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है, जहां भारत और इंग्लैंड के बीच 9 फरवरी को होने वाले दूसरे ODI मैच के लिए क्रिकेट प्रेमियों की हसरतें टिकट काउंटर पर आकर फुट पड़ीं। स्थिति की गंभीरता इस कदर थी कि टिकट के लिए कुछ लोग पूरी रात कतार में खड़े रहे, और जब सुबह हुई, तो भीड़, आफरा-तफरी का रूप ले चुकी थी।
अफरातफरी और पुलिस की दरियादिली
भीड़ इतनी थी कि भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। मोनिका जैसी महिला फैंस का आरोप इतना था कि पुलिस कुछ लोगों को बिना कतार के टिकट दे रही थी, जिससे आदर्श व्यवस्था पर सवाल उठे। यही कारण है कि कतारों में खड़े वंचित लोग पुलिस की इस दरियादिली का विरोध करने लगे।
थेथरई का आलम यह था कि 11,500 टिकट के लिए, 10,500 लोग पहले से रातभर कतार में थे और सुबह तक लोगों की संख्या बढ़कर काबू से बाहर हो गई। कोलकाता से आई छात्रा ईशा जैसी फैंस को निराशा हाथ लगी, जब पुलिस ने आपात स्थितियों में कतार को ही खाली कराया।
गर्मी में बसे हालात
भीड़ के बीच कुछ लोग बेहोश हो गए। पुलिस को स्थिति संभालने में काफी कठनाई झेलनी पड़ी। कटक के डीसीपी जगमोहन मीणा सहित प्रशासन के अन्य आला अधिकारी मौके पर हालात का जायजा लेने पहुंचे। गर्मी के बावजूद पानी की उचित व्यवस्था न होने से लोग त्रस्त दिखे।
ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन (ओसीए) ने टिकट बिक्री के लिए प्रमाण पत्र के आधार पर केवल 2 टिकट प्रति व्यक्ति देने का नियम तय किया। लेकिन सुचारू प्रक्रिया के अभाव में 5 फरवरी तक सभी टिकट खत्म हो गए, जिससे कई फैंस बगैर टिकट निराश होकर लौट गए।
कालाबाजारी का भी काला पक्ष
महिलाओं की बेतहाशा भीड़ ने इस बात को सवालों के घेरे में डाल दिया कि क्या उन्हें किसी योजना के तहत कतार में खड़ा किया गया था, बाद में टिकटों की कालाबाजारी के लिए।
इस पूरी अफरा-तफरी का दोष किस पर है—भीड़ के अदूरदर्शिता पर, प्रशासन के अव्यवस्था पर, या फिर नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों पर? अब यह देखना रोचक होगा कि क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड और ओसीए इन घटनाओं पर कोई ठोस कदम उठाएंगे।