दिल्ली-एनसीआर में सार्वजनिक परिवहन को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली मेट्रो के विस्तार के लिए तीन नए रूट (कॉरिडोर) को मंजूरी दे दी है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली मेट्रो के फेज-V(A) के तहत विकसित किया जाएगा। इस मंजूरी के साथ ही राजधानी में मेट्रो नेटवर्क का 16.076 किलोमीटर और विस्तार होगा, जिसमें कुल 13 नए स्टेशन बनाए जाएंगे। सरकार ने इस महत्वकांक्षी परियोजना को अगले तीन साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे लाखों यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा।
तीन नए कॉरिडोर से बदल जाएगी दिल्ली की रफ्तार, पुरानी दिल्ली से लेकर एयरपोर्ट तक कनेक्टिविटी होगी मजबूत
इस प्रोजेक्ट के तहत जिन तीन नए रूटों पर मेट्रो दौड़ेगी, वे रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं। पहला और सबसे लंबा रूट ‘आरके आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ’ तक होगा, जिसकी लंबाई लगभग 9.91 किलोमीटर है। यह कॉरिडोर पुरानी दिल्ली, उत्तर दिल्ली और पश्चिम दिल्ली को सीधे सेंट्रल विस्टा और इंडिया गेट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ेगा। दूसरा कॉरिडोर ‘एरोसिटी से इंदिरा गांधी डोमेस्टिक एयरपोर्ट टर्मिनल-1’ के बीच बनेगा। करीब 2.26 किलोमीटर लंबा यह लिंक एरोसिटी से सीधे घरेलू टर्मिनल तक मेट्रो की सुविधा देगा। तीसरा रूट ‘तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज’ के बीच होगा, जो लगभग 3.9 किलोमीटर लंबा है और यह सरिता विहार व मदनपुर खादर होते हुए गुजरेगा।
कुल 13 नए स्टेशनों में से 10 होंगे भूमिगत, इंडिया गेट और वॉर मेमोरियल तक पहुंचना होगा अब बेहद आसान
नए विस्तार की सबसे खास बात इसके स्टेशनों की संरचना है। कुल 16.076 किलोमीटर की नई लाइन में जो 13 नए स्टेशन बनाए जाएंगे, उनमें से 10 स्टेशन भूमिगत (अंडरग्राउंड) होंगे, जबकि 3 स्टेशन एलीवेटेड (ऊंचे पुल पर) होंगे। आरके आश्रम-इंद्रप्रस्थ रूट पर विशेष ध्यान दिया गया है, जहां इंडिया गेट, कर्तव्य पथ, वॉर मेमोरियल, हाई कोर्ट और बड़ौदा हाउस जैसे अति महत्वपूर्ण स्थानों के लिए अंडरग्राउंड स्टेशन प्रस्तावित हैं। इससे सेंट्रल विस्टा जोन और सुप्रीम कोर्ट जैसे इलाकों तक आम जनता की पहुंच बेहद सुगम हो जाएगी।
12 हजार करोड़ से ज्यादा का बजट और तीन साल की समयसीमा, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाएंगे खर्च
परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए वित्तीय खाका भी तैयार कर लिया गया है। पूरे फेज-V(A) प्रोजेक्ट पर अनुमानित लागत लगभग 12,014.91 करोड़ रुपये आएगी। फंडिंग मॉडल के तहत केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार लगभग बराबर की हिस्सेदारी का योगदान करेंगी, जबकि शेष राशि जुटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों और डीएमआरसी द्वारा लोन का सहारा लिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, निर्माण कार्य शुरू होने के बाद इन कॉरिडोर को 3 साल के भीतर चालू करने की योजना है, ताकि जनता को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके।
नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम के यात्रियों को भी होगा बड़ा फायदा, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति
इस विस्तार का असर सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एनसीआर के अन्य शहरों को भी इसका फायदा मिलेगा। तुगलकाबाद-कालिंदी कुंज लाइन के बनने से दिल्ली की सीमा से सटे इलाकों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम की ओर जाने वाले यात्रियों को बेहतर इंटरचेंज और वैकल्पिक रूट मिलेंगे। इसके अलावा, 16 किलोमीटर का यह नया नेटवर्क सड़कों पर वाहनों का दबाव कम करेगा, जिससे दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को घटाने में बड़ी मदद मिलेगी। साथ ही, एरोसिटी-T1 लिंक से साउथ और सेंट्रल दिल्ली के लोगों के लिए हवाई अड्डे तक पहुंचना और भी तेज हो जाएगा।
फेज-IV का काम भी तेजी पर, 2026 तक मौजूदा प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की तैयारी
नए फेज की मंजूरी के साथ-साथ दिल्ली मेट्रो के फेज-IV का काम भी युद्धस्तर पर चल रहा है। फेज-IV के तीन प्रायोरिटी कॉरिडोर, जिनकी कुल लंबाई लगभग 111 किलोमीटर है और जिसमें 83 स्टेशन शामिल हैं, का लगभग 80% सिविल कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका है। इन लाइनों को चरणबद्ध तरीके से दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अब नए तीन कॉरिडोर के जुड़ने से दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की कुल लंबाई और इंटरचेंज स्टेशनों की संख्या में और वृद्धि होगी, जो भविष्य में शहरी यातायात की रीढ़ साबित होगी।




