बैंक जल्द ही करदाताओं के लिए एक राहत भरी खबर ला सकते हैं। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुझाव दिया है कि वे कर बचत वाली सावधि जमा (FD) पर करदाताओं को थोड़ी राहत प्रदान करें। जानकारी के मुताबिक, आगामी जुलाई के दूसरे पखवाड़े में पेश होने वाले पूरक बजट में कर बचत वाली सावधि जमा की लॉक-इन अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल किया जा सकता है।
संकट में बैंकों के कदम
बैंकिंग सेक्टर में नकदी की समस्या के चलते, कई बैंकों ने एफडी पर मिलने वाले ब्याज को बढ़ाने की घोषणा की है। सूत्रों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को यह सुझाव देने का मुख्य मकसद लोगों को फिर से परम्परागत निवेश माध्यमों की ओर आकर्षित करना है।
निवेश के अन्य विकल्प
हाल के रुझानों से पता चलता है कि कर बचत वाली एफडी की जगह अब लोग शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) को अधिक महत्व देने लगे हैं। इन माध्यमों में रिटर्न ज्यादा है और लॉक-इन पीरियड की पाबंदियां भी कम हैं।
आंकड़े और आर्थिक स्थिति
वित्त वर्ष 2023-2024 में बैंकों में जमा वृद्धि दर 12.9% रही, जबकि ऋण वृद्धि दर 16.3% रही। इसके विपरीत, वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले, वित्त वर्ष 2023 में भारतीय निवेशकों का निवेश शेयर और बॉन्ड मार्केट में 0.5% से बढ़कर 0.8% हो गया है। वहीं बैंकों में डिपॉजिट 6.2% से घटकर 4% हो गया है।
बढ़ता कर्ज और घटती जमा राशि
बैंकों में बढ़ते कर्ज और घटती जमा राशि ने उनकी चिंता को बढ़ा दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, म्यूचुअल फंड कंपनियों का प्रबंधित कोष अप्रैल 2019 में 24.79 लाख करोड़ से बढ़कर 2024 में 52.76 लाख करोड़ हो गया है।