HDFC बैंक के शेयरों में 10 जुलाई को करीब 1% की गिरावट देखी गई, जिससे शेयर की कीमत ₹1,622 पर आ गई। इस गिरावट की मुख्य वजह है ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म BofA का शेयर को ‘खरीदें’ से ‘न्यूट्रल’ में डाउनग्रेड करना।
क्यों हुआ डाउनग्रेड?
BofA ने फरवरी में HDFC बैंक के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी थी, लेकिन अब उन्हें लगता है कि शेयर की कीमत में आगे बढ़ने की संभावना कम है। इसके पीछे एक बड़ी वजह है HDFC के साथ मर्जर के बाद बैंक के डिपॉज़िट आंकड़ों में आई कमी।
आगे क्या हैं चुनौतियाँ?
BofA के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 HDFC बैंक के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। उन्हें उम्मीद है कि बैंक की ग्रोथ वित्त वर्ष 2026 से ही दिखाई देगी। इसके अलावा, कम ब्याज दरों के कारण बैंक के मुनाफे में भी कमी आ सकती है।
पहली तिमाही के नतीजे
हाल ही में, HDFC बैंक ने जून तिमाही के नतीजे जारी किए। बैंक के डिपॉज़िट में 24.4% की बढ़ोतरी हुई, लेकिन ये बढ़ोतरी HDFC के साथ हुए मर्जर के कारण हुई है। अगर मर्जर को हटा दें, तो डिपॉज़िट में केवल 16.5% की बढ़ोतरी हुई है।
लोन में बढ़ोतरी
बैंक ने लोन देने में अच्छी बढ़ोतरी दिखाई है। ग्रॉस एडवांसेस में 52.6% की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसमें भी मर्जर का बड़ा योगदान है। मर्जर को हटाकर देखें तो लोन में 15% की बढ़ोतरी हुई है।
शेयर बाजार में प्रदर्शन
इस साल HDFC बैंक के शेयरों में 4% से अधिक की गिरावट आई है, जबकि बाजार में तेजी देखी गई है। इससे पहले, 3 जुलाई को शेयर ने ₹1,791 का 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ था।
आपके लिए क्या मायने रखता है?
अगर आप HDFC बैंक के शेयर में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए। बाजार के जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में शेयर में बहुत ज़्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। इसलिए, निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से बात करना ज़रूरी है।