आज की तेजी से बदलती दुनिया में, हर इंसान को आर्थिक सुरक्षा की जरूरत है। यही कारण है कि भारत सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक अहम बीमा संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है। यह विधेयक 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस विधेयक के तहत इंश्योरेंस एक्ट, 1938 में कई जरूरी बदलाव किए जाएंगे।
एक बड़े परिवर्तन के रूप में, बीमा कंपनियों के लिए एकल लाइसेंस (कंपोजिट लाइसेंस) का प्रावधान रखा गया है। इससे कंपनियां लाइफ, जनरल और हेल्थ बीमा प्रोडक्ट्स को बिना अलग-अलग लाइसेंस के बेच पाएंगी। यह नवाचार बीमा कंपनियों के लिए एक बड़ा फायदा साबित हो सकता है।
इसके अलावा, सरकार बीमा कंपनियों को म्यूचुअल फंड, लोन, क्रेडिट कार्ड और बैंक डिपॉजिट जैसे अन्य वित्तीय उत्पाद बेचने की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है। इस बदलाव से जीवन बीमा के क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों जैसे एलआईसी, एचडीएफसी लाइफ और मैक्स लाइफ के ग्राहकों को भी लाभ मिलेगा।
एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह है कि बीमा व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक न्यूनतम पूंजी सीमा ₹200 करोड़ से घटाकर ₹100 करोड़ की जा सकती है। इसका सीधा फायदा उन नई कंपनियों को होगा जो बीमा उद्योग में प्रवेश करना चाहती हैं। साथ ही, विदेशी निवेश की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने की संभावना भी जताई जा रही है, जिससे विदेशी पूंजी को आकर्षित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
नए बदलाव के साथ ही नए प्रतिस्पर्धा और GST मीटिंग के दौरान जीएसटी रेट में कटौती की उम्मीद भी आम लोगो के पैसे को बचत देने में महत्वपूर्ण साबित होंगी.
इस विधेयक के जरिए IRDAI की भूमिका भी बढ़ने वाली है।
IRDAI को निवेश के नियमों को और लचीला बनाने का अधिकार दिया जा सकता है। इसके साथ ही, कंपोजिट लाइसेंस का रास्ता साफ करने के लिए विधेयक जल्द से जल्द मंजूरी पाने की दिशा में अग्रसर है।
विशेषज्ञों की माने तो यह कदम भारत के बीमा क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार ला सकता है। यह न केवल सेवाओं को अधिक सुलभ बनाएगा बल्कि नए व्यावसायिक अवसर भी प्रदान करेगा। इस बदलाव को लेकर बीमा क्षेत्र में एक नई उम्मीद की लहर दौड़ रही है।